GSEB Solutions for ધોરણ ૦૯ Gujarati

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

सम्राट अशोक ने न्यायमंत्री की खोज केसे की ? पांच-छ वाक्यों में उत्तर दीजिये |

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જવાબ : अपने राज्य को अपराधमुक्त करने के लिए सम्राट अशोक को एक सुयोग्य न्यायमंत्री की आवश्यकता थी | न्यायमंत्री की खोज के लिए उन्होंने एक परदेशी नवयुवक का वेश धारण किया | घूमते-घूमते वे ब्राह्मण शिशुपाल के यहाँ पहोंचे | शिशुपाल न्याय प्रेमी था | न्याय किसे कहेते हे, यह देखने के लिए उसे अवसर की तलाश थी | सम्राट अशोक ने उसे अवसर दिया | हत्या का अपराध होने पर शिशुपाल ने निष्पक्ष व्यवहार किया | उसने सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की | उसके इस साहस और निष्पक्ष व्यवहार से सम्राट से प्रसन्न हो गए | इस प्रकार सम्राट अशोक ने सही न्यायमंत्री की खोज की |


सम्राट अशोक ने न्यायमंत्री का पद देते हुए शिशुपाल को क्या दिया था ? पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिये |

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જવાબ : सम्राट अशोक ने शिशुपाल को अपने दरबार में बुलाया | उन्होंने शिशुपाल से कहा की, मै आपको न्याय करने का अवसर देना चाहता हूँ | शिशुपाल भी इस अवसर के लिए तैयार था | यह जानकार सम्राट ने उन्हें न्यायमंत्री बनाया और पहेचानने के लिए उसे राजमुद्रा दी |


शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य में न्याय के विषय में क्या परिवर्तन आया था ? पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिये |

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જવાબ : न्यायमंत्री बनते ही शिशुपाल ने अपनी कुशलता का परिचय दिया | उन्होंने राज्य को अपराध रहित बनाना शुरु कर दिया | उनके सुप्रबंध का अच्छा असर हुआ | राज्य में पूरी तरह शांति रहने लगी | किसी को किसी प्रकार का भय नहीं रहा | लोग अपने घर के दरवाजे खुले छोड़कर बाहर जाने लगे | चारोतरफ न्यायमंत्री के सुप्रबंध और न्याय की धूम मच गई |          इस प्रकार शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य की परिस्थितिया बदल गयी |


सम्राट अशोक क्यों गदगद हो गये कारण के साथ उत्तर दीजिये.

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જવાબ : सम्राट अशोक ने शिशुपाल को न्याय का असली रूप दिखने का अवसर दिया था | उन्होंने देखा की शिशुपाल न्याय की कसौटी पर खरा उतरा था | हत्यारे सम्राट के प्रति उसने जरा भी नरम रुख नहीं अपनाया | उसने अपराधी सम्राट को मृत्युदंड देने की घोषणा की | दंड समय शीशुपाल ने जरा भी हीचकिचाट नहीं दिखाई | अपने साहसपूर्ण और निष्पक्ष व्यवहार में उसने सम्राट का दिल जित लिया |            इस प्रकार न्यायमंत्री के रूप में शिशुपाल को सफल होते देखकर सम्राट अशोक गद गद हो गए |


न्यायमंत्रीने अपराधी सम्राट के जीवन की रक्षा किस प्रकार की ? पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिये |

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જવાબ : सम्राट अशोक ने एक राजकर्मचारी की हत्या की थी | इस अपराध के लिए न्यायमंत्री ने उन्हें मृत्युदंड देने की घोषणा की | परन्तु अपराधी और कोई नहीं सम्राट थे | शास्त्रों  में राजा को इश्वरस्वरूप माना गया है | इसलिए उसे केवल इश्वर ही दंड दे सकता है | न्यायमंत्री ने सम्राट की जगह उनकी सोने की मूर्ति को फाँसी पर लटका दिया | इस प्रकार न्यायमंत्री ने अपराधी सम्राट के जीवन की रक्षा की |


न्यायमंत्री निरुत्तर क्यों हो गया ? पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिये |

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જવાબ : न्यायमंत्री शिशुपाल कसौटी पर खतरे उतरे थे | सम्राट अशोक ऐसे व्यक्ति को पाकर गद् गद हो गये | लोगो ने भी शिशुपाल का न्याय सुनकर उनकी जय-जयकार की | परन्तु शिशुपाल को लगा की न्यायमंत्री की यह जिम्मेदारी उनसे नहीं संभाली जायेगी | उन्होंने सम्राट से राजमुद्रा वापस लेने की प्रार्थना की | परन्तु अशोक ने कहा की उन्होंने अपने न्यायपूर्ण व्यवहार से उनकी आँखे खोल दी है | यह जिम्मेदारी उनके सिवाय कोई और नहीं उठा सकता | सम्राट के इस आग्रह को देखकर न्यायमंत्री निरुत्तर हो गऐ |


परदेशी शिशुपाल की किस बात से सहमत नहीं हुए थे ? दो-तिन वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : शिशुपाल ने परदेशी से कहा की सम्राट अशोक के शासन में चारो तरफ अन्याय हो रहा है | शिशुपाल की इस बात से परदेशी सहमत नहीं हुआ |


सम्राट अशोक ने शिशुपाल को दरबार में क्यों बुलाया ? दो-तिन वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : सम्राट अशोक शिशुपाल को न्याय करने का अवसर देना चाहते थे | शिशुपाल को राज्य का न्यायमंत्री बनाने के लिए सम्राट अशोक ने उसे दरबार में बुलाया |


न्यायमंत्री ने अंत में क्या निर्णय दिया ? दो-तिन वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : न्यायमंत्री ने सम्राट को फांसी की सजा दी | परन्तु उनके स्थान पर सोने की मूर्ति को फांसी पर लटका देने का आदेश दिया |


शिशुपाल ने अपने घर का दरवाजा क्यों खोल दिया ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : एक अतिथि को शाम के अँधेरे में आश्रय के लिए आया देखकर शिशुपाल ने अपने घर का दरवाजा खोल दिया |


शिशुपाल किस अवसर की तलाश में था ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : शिशुपाल सच्चा न्याय केसा होता है यह दिखने के अवसर की तलाश में था |


न्याय के विषय में शिशुपाल के क्या विचार थे ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : शिशुपाल मानता था की न्याय ऐसा हो की कोई और अन्याय  करने का साहस न कर सके |


परदेशी कौन था ? उसने दुसरे दिन क्या किया ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : परदेशी स्वयं सम्राट अशोक था | दुसरे दिन सुबह उठकर परदेशी ने शिशुपाल को धन्यवाद देकर उससे विदा ली |


सम्राट अशोक ने शिशुपाल को राजमुद्रा क्यों दी ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : सम्राट अशोक ने शिशुपाल को न्यायमंत्री के पद पर नियुक्ति के रूप में राजमुद्रा दी |


राज्य में न्याय के विषय में परीस्थितिया केसे बदल गयी ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : शिशुपाल के न्यायमंत्री बनते ही राज्य में पूरी तरह शांति रहने लगी, किसी को किसी प्रकार का भय न रहा |


पहेरेदार की हत्या होने पर शिशुपाल की स्थिति कैसी हो गई ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : पहेरेदार की हत्या होने पर शिशुपाल की नींद उड़ गई और अपराधी का पता लगाने के लिए उन्होने दिन-रात एक कर दिए |


सम्राट ने पहेरेदार को मारने का क्या कारण बताया ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : सम्राट ने पहेरेदार को मारने का कारण बताते हुए कहा की वह बहुत उद्दंड था |


अपराधी का पता चलने पर शिशुपाल ने क्या किया ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : अपराधी का पता चलने पर शिशुपाल ने सम्राट अशोक को गिरफ्तार करने का आदेश दिया |


शास्त्रों मे राजा को क्या बताया है ? एक वाक्य में उत्तर दीजिए |

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જવાબ : शास्त्रों मे राजा को इश्वर का रूप बताया है |


यह मेरा सौभाग्य है | यह विधान कोन कहेता है ? कारण के साथ उत्तर दीजिए |

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જવાબ : यह विधान शिशुपाल अपने द्वार आये परदेशी युवक से कहेता है | क्योंकि, यह अतिथि का सत्कार करना अपना कर्तव्य समझता है |


दोष निकलाना तो सुगम है, परन्तु कुछ कर दिखाना कठिन हैं |” यह विधान कोन कहेता है ? कारण के साथ उत्तर दीजिए |

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જવાબ : यह वाक्य परदेशी युवक (सम्राट अशोक) शिशुपाल से कहेता है | क्योंकि, शिशुपाल उससे सम्राट अशोक के राज्य में हो रहे अन्याय की शिकायत करता है |


ब्राह्मण के लिए कुछ भी कठिन नहीं है | मैं न्याय का डंका बजाकर दिखा दूंगा |”  यह विधान कोन कहेता है ? कारण के साथ उत्तर दीजिए |

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જવાબ : यह वाक्य शिशुपाल परदेशी नवयुवक से कहेता है | क्योंकि, परदेशी नवयुवक उससे राज्य को अपराधमुक्त करने का वचन लेना चाहता है |


तो तुम अपराध स्वीकार करते हो | यह विधान कोन कहेता है ? कारण के साथ उत्तर दीजिए |

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જવાબ : यह वाक्य न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक से कहेता है | क्योंकि, उसने पहरेदार की हत्या की थी |


महाराज यह राजमुद्रा वापस ले ले, मुझ से यह बोझ नहीं उठाया जायेगा |” यह विधान कोन कहेता है ? कारण के साथ उत्तर दीजिए |

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જવાબ : यह वाक्य न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक से कहेता हैं | क्योंकि, उसे लगता हैं की यह न्यायमंत्री की जिम्मेदारी नहीं संभाल पायेगा |


आप न्यायमंत्री होते तो आपका क्या निर्णय होता ?

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જવાબ : मैं न्यायमंत्री होता तो वही करता जो शिशुपाल ने किया |


सम्राट अशोक की आँखे किस वजह से खुल गई ?

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જવાબ : सम्राट अशोक की आँखे खुल गई क्योंकि, शिशुपाल ने उसे दिखा दिया की सच्चा न्याय किसे कहते है |


शिशुपाल के साहस की सम्राट अशोक ने प्रशंसा क्यों की उत्तर दीजिए ?

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જવાબ : शिशुपाल ने सम्राट अशोक को पहेरेदार की हत्या का अपराधी बताया | उसने सम्राट को मुर्त्युदंड देने में जरा भी झिझक नहीं दिखाई | उसकी इस निष्पक्षता औए निडरता के कारण सम्राट अशोक ने उसके साहस की प्रशंसा की |


सम्राट के हाथो में ____ पड गई | (अंगूठी, हथकड़ी, घडी)

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જવાબ : हथकड़ी


शास्त्रों मे  राजा को _____ बताया है | (इश्वर, पहेरेदार, मालिक)

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જવાબ : इश्वर


महाराज यह ____ वापस ले लीजिए, मुझसे यह बोझ नहीं उठाया जायेगा | (राष्ट्रमुद्रा, राजमुद्रा, राजचिह्न)

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જવાબ : राजमुद्रा


____ देकर सम्राट को छोड़ दिया जाए | (चेतावनी, दंड, सजा)

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જવાબ : चेतावनी


मैं आपको _____ करने का अवसर देना चाहता हूँ | (न्याय, काम, इनाम)

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જવાબ : न्याय


शिशुपाल न्याय की कसौटी पर खरा उतरा |

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જવાબ : यह वाक्य सही है |


स्वयं सम्राट ही निरपराधी थे |

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જવાબ : यह वाक्य गलत है |


शिशुपाल ने सम्राट से राजमुद्रा वापस लेने की प्रार्थना की |

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જવાબ : यह विधान सही है |


परदेशी युवक कौन था ?

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જવાબ : स्वयं सम्राट अशोक


सम्राट अशोक ने किसे न्यायमंत्री बनाया ?

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જવાબ : शिशुपाल को


सम्राट अशोक ने किसकी हत्या की ?

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જવાબ : पहेरेदार की


न्यायमंत्री ने सम्राट को क्या सजा दी ?

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જવાબ : फांसी की


समान अर्थी शब्द

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જવાબ :

(1) अवस्था – दशा

(2) अतिथि – महेमान

(3) सुगम – सरल

(4) कठिन – मुश्किल

(5) उद्दंड – अविवेकी

(6) हेरान – चकित

(7) नि:स्तब्धता – शांति

(8) निरुत्तर – खामोश

विरोधी शब्द

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જવાબ :

(1) परदेशी × स्वदेशी

(2) आदर × अनादर

(3) अपराधी × निरपराधी

(4) सुप्रबंध × कुप्रबंध

(5) गिरफ्तार × रिहा

(6) स्वीकार × अस्वीकार

(7) आरम्भ × अंत

(8) उद्दंड × विनम्र

वाक्य में से विशेषण बताइए |

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જવાબ :

(1) उसने अपराधी सम्राट को मृत्यदंड देने की घोषणा की |

उत्तर: अपराधी

(2) न्यायमंत्री राज्य की आंतरिक व्यवस्था ठीक करना चाहता था |

उत्तर: आंतरिक

(3) न्यायमंत्री की न्याय देने की प्रक्रिया प्रशंसनीय थी |

उत्तर:  प्रशंसनीय

(4) शिशुपाल से निर्भय होकर न्याय किया |

उत्तर:  निर्भय

(5) सम्राट के प्रति उसने जरा भी नरम रुख नहीं अपनाया |

उत्तर:  नरम

दिए गए वाक्य में से कर्तुवाचक संज्ञा पहेचानिए |

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જવાબ :

(1) सम्राट ने पहरेदार को मारने का कारण बताया |

उत्तर: पहरेदार

(2) न्यायमंत्री शिशुपाल सम्राट अशोक का सेवक था |

उत्तर: सेवक

(3) मंत्री महादेव स्वयं निर्णायक नहीं हो सकते |

उत्तर: निर्णायक

(4) वह सम्राट के सामने राजमुद्रा वापस लेने के लिए प्रार्थी बनकर खड़ा था |

उत्तर: प्रार्थी

(5) उसने मूर्तिकार को बुलाकर सोने की मूर्ति बनवाई |

उत्तर: मूर्तिकार

दिए गये वाक्य के लिए शब्द-समूह के लिए एक शब्द बताइए |

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જવાબ :

(1) शासन की निशानी |

उत्तर: राजमुद्रा

(2) जिसकी आने की तिथि निश्चित नहीं हे वो |

उत्तर: अतिथि

(3) अची तरह से किया हुआ |

उत्तर: समुचित

(4) अच्छी व्यवस्था |

उत्तर: सुप्रबंध

दिए गये मुहावरे का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए |

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જવાબ :

(1) डंका बजाना – सुप्रसिद्ध होना |

वाक्य : नए पुलिस कमिश्नर ने कुछ ही दिनों में राज्य में अपनी कर्तव्यनिष्ठा का डंका बजा दिया |

(2) सहम जाना – भयभीत हो जाना |

वाक्य : अपने घर पर पुलिस को आई देखकर में सहम गया |

(3) कलेजा धडकना – चिंतित होना |

वाक्य : पड़ोस में गोलियों की आवाज सुनकर चौधरी का कलेजा धडकने लगा |

(4) धूम मचाना – सुप्रसिध्ध हिना |

वाक्य : संगीत इतना मधुर था की नौशाद के नाम की धूम मच गई |

(5) नींद उड़ जाना – बहुत चिंतित होना |

वाक्य : पुलिस के आने की खबर सुनकर शेठजी की नींद उड़ गई |

(6) आश्चर्य का ठिकाना न रहना – बहुत आश्चर्य होना |

वाक्य : छोटे लड़के को संस्कृत के श्लोक बोलते देखकर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा |

(7) रात-दिन एक करना – कड़ी महेनत करना |

वाक्य : परीक्षा में सफल होने के लिए उसने रात-दिन एक कर दिए |

(8) होठ काटना – श्रोभ प्रकट करना |

वाक्य : अपने सामने मुनीमजी को गुस्सा प्रकट करते देख शेठजी होंठ काटकर रह गये |

(9) सर झुकाना – लज्जित होना |

वाक्य : सबुत पेश करने पर अपराधी ने सिर झुका लिया |

(10) गदगद होना – भाव विभोर होना |

वाक्य : बेटे को प्रथम पुरस्कार मिलने पर पिता का ह्रदय गदगद हो गया |

(11) आँख खोल देना – सही परिस्थिति समझाना, सच्चाई का ज्ञान कराना |

वाक्य : संत ने अपने प्रवचन से लोगो की आँखे खोल दी |

दिए शबदो के उपसर्ग बताइए |

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જવાબ :

(1) अतिथि - अ + तिथि

(2) स्वागत - सु + आगत

(3) असाधारण - अ +साधारण

(4) निष्पक्ष - निस + पक्ष

(5) अन्याय - अ + न्याय

(6) खुशनसीबी - खुश + नसीबी

(7) सुप्रबंध - सु + प्रबंध

(8) समुचित – सम + उचित

(9) सुप्रसिध्ध – सु + प्रसिध्ध

(10) प्रसिध्ध – प्र + सिध्ध

(11) उपस्थित – उप + स्थित

(12) अविवेक – अ + विवेक

(13) परदेश – पर + देश

(14) नि:स्तब्ध – नि: (निस) + स्तब्ध

(15) सुगम – सु + गम

(16) परदेशी – पर + देशी

(17) निपराध – नि: + अपराध

(18) अस्वीकार – अ + स्वीकार

(19) विनम्र – वि + नम्र

(20) निर्भय – नि: + भय

दिए गये शब्द के प्रत्यय बताइए |

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જવાબ :

(1) अपराधी – अपराध + ई

(2) पहरेदार – पहरा + दार

(3) निष्पक्षता – निष्पक्ष + ता

(4) शिशुपाल – शिशु + पाल

(5) खुशनसीबी – खुशनसीब + ई

(6) जिम्मेदारी – जिम्मेदार + ई, जिम्मा + दारी

(7) अविवेकी – अविवेक + ई

(8) निडरता – निडर + ता

(9) प्रशंसनीय  - प्रशंसा + निय

(10) आतंरिक – अंतर + इक

(11) मूर्तिकार – मूर्ति + कार

(12) प्रार्थी – प्रार्थ + ई

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