જવાબ : देहमंदिर, चित्तमंदिर एक ही है प्रार्थना |
જવાબ : दुःखियारो का दुःख जाए है यही मनकामना |
જવાબ : “मांगल्य” अर्थात सबका कल्याण | कवि चाहते हे कि सब लोग सत्य के मार्ग पर चले, सबके मन में सुन्दर विचार आऍ और सब एक-दुसरे के कल्याण की बात सोचे. इस तरह कवि सबके कल्याण की कामना करते हुए मांगल्य की आराधना करते हे |
જવાબ : कवि के अनुसार लोगो के जीवन में तरह-तरह के दुःख हे | इन दुखो से छूटकारा पाने का उन्हें कोई मार्ग नहीं सूझता | उन्हें दूसरो की सहानुभूति भी नहीं मिलती | वे स्वयं अपने दु:खो से मुक्त नहीं हो सकते | इसे उपेक्षित और असहाय लोगो के दुःख दूर होने चाहीए |
જવાબ : कवि चाहते हे की मनुष्य के जीवन में नया प्रकाश आए | वह नयी चेतना का अनुभव करे | उसके ह्रदय में सुन्दर और नए विचार हो | उसकी सभी आशाएं पूरी हो | वह मनुष्यता की पूजा करे | सब लोग धीर-वीर बने |
જવાબ : संसार में विज्ञान ने बहुत उन्नति कर ली हे, फिर भी दुनिया में ऊच-नीच, जाती-पाती, अमिर-गरीब आदि कई भेद है | इन भेदभावो के कारण मानव-समाज में ईर्ष्या-द्रेश और संघर्ष है | इनके कारण मानव-एकता में बाधाए आती है और हमारा विश्वबंधुत्व का सपना पूरा नहीं होता | इसलिए कवि इन भेदों को नाश करने की बात करते है |
જવાબ : संवेदना के बिना हमे दूसरो की वेदना का अनुभव नहीं हो सकता | इसलिए कवि संवेदना जगाना चाहते है |
જવાબ : लोग एकदूसरे की पीड़ा समजे और उसे दूर करने का प्रयास करे | यही “मानवता की उपासना” है |
જવાબ : कवि नित्य ऐसी आराधना चाहते है जिसमे सत्य, सुंदर और मांगल्य की भावना हो |
જવાબ : दुःखी लोग दुःखो से मुक्त हो, ऐसी मनोकामना कवि चाहते है |
જવાબ : कवि दुर्बलो के रक्षणार्थ पौरुष की साधना करना चाहते है |
જવાબ : कवि सबके जीवन मे नया प्रकाश आने की अभ्यर्थना करते है |
જવાબ : कवि ऐसी बंधुता की कामना करते है जिसमे सब स्वतंत्र होकर भी भाईचारा की भावना से जुड़े हो |
જવાબ : कवि वसंत बापट बहुत ही उदारह्रदय और ऊँची द्रष्टि के कवि है | उनके चित्त और देह की बस एक ही प्रार्थना है की लोग अच्छे कर्म करे | सत्य के मार्ग पर चले | उनके ह्रदय में सुभ और सुंदर भावनाऐ हो |
જવાબ : आज संसार में वर्ण-भेद, जाती-भेद, रंग-भेद आदि कई भेद बने हुए है | ईर्ष्या-द्वेष के कारण ऊँच-नीच का अंतर बना है | इसलिए मानवजाती में एकता नहीं है | संसार में अशांति और संघर्ष का कारण ये तरह-तरह के भेद ही है | जब तक इन भेदों का नाश नहीं होगा, तब तक मनुष्यजाती एक नहीं होगी |
જવાબ : देह्मंदिर, चित्तमंदिर, एक ही है प्रार्थना | सत्य-सुन्दर, मांगल्य की नित्य हो आराधना || दु:खीयारो का दुःख जाए, है यही मनकामना | वेदना को परख पाने जगाऐ संवेदना || दुर्बलो के रक्षणार्थ पौरुष की साधना ||
જવાબ : जीवन में नवतेज हो, अतरंग में भावना | सुन्दरता की आस हो मानवता की हो उपासना || शौर्य पांवे, धैर्य पांवे, यही है अभ्यर्थना | भेद सभी अस्त होंवे, बैर और वासना || मानवो की एकता की पूर्ण हो कल्पना | मुक्त हम, चाहें एक ही बंधुता की कामना ||
જવાબ : कवि सबका कल्याण चाहते है |
જવાબ : मानवो की एकता की भावना पूर्ण हो तो अच्छा |
જવાબ : दुःख में दुसरो की सहानुभूति भी नहीं मिलती |
જવાબ : यह विधान सही है |
જવાબ : यह विधान गलत है |
જવાબ : यह विधान सही है |
જવાબ : यह विधान गलत है |
જવાબ : सच्चाई या सत्य के मार्ग पर.
જવાબ : दुःखो से
જવાબ : मानवता की
જવાબ : भेदभाव
હિન્દી
The GSEB Books for class 10 are designed as per the syllabus followed Gujarat Secondary and Higher Secondary Education Board provides key detailed, and a through solutions to all the questions relating to the GSEB textbooks.
The purpose is to provide help to the students with their homework, preparing for the examinations and personal learning. These books are very helpful for the preparation of examination.
For more details about the GSEB books for Class 10, you can access the PDF which is as in the above given links for the same.