GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Gujarati

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

यमुना किनारे कदंब की डाल पर रसखान किस रूप में बसना चाहते हैं?

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જવાબ : पक्षी


आठ सिद्धि और नव निधि का सुख प्राप्त होता है...

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જવાબ : नंद की धेनु चराने में


कलधौत के धाम का अर्थ होता है ...

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જવાબ : सोने का राजमहल


गोपी गले में.............. माला पहनना चाहती है।

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જવાબ : गुंजे की


पशु योनि में जन्म मिलने पर कवि...

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જવાબ : नंदजी की गायों के बीच रहकर चरना चाहते हैं।


गोपी कृष्ण की मुरली धारण नहीं करेगी, क्योंकि...

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જવાબ : गोपी निश्छल प्रेम का विश्वासघात करना नहीं चाहती।


लकुटी लेकर रसखान...

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જવાબ : कृष्ण की भाँति वन में भटकते हुए गायें चराना चाहते हैं।


नंद की गायों को वन में ले जाकर चलाने का सौभाग्य मिलने पर रसखान ...

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જવાબ : आठेों सिद्धियों और नौवों निधियों से प्राप्त सुख को भूला देंगें।


मनुष्य होकर कवि कहाँ बसना चाहते हें ?

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જવાબ : गोकुलमें


पशु बनकर कवि कहाँ बसना चाहते हैं ?

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જવાબ : नन्दबाबाकी गायों के बीच


अगर कविको अगले जन्ममें पत्थर बनना पड़ जाए तो वे क्‍या करेंगे ?

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જવાબ : वे गोवर्धन पर्वतका पत्थर बनना पसंद करेंगे


कौन से सुखके आगे कवि आठ सिध्धी और नव निधिके सुखको त्याग सकते हैं ?

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જવાબ : नन्दकी गाय चरानेके सुखके आगे


खग बनकर कवि क्‍या करना चाहते हैं?

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જવાબ : यमुनाके किनारे कदंबकी डाल पर बसना पसंद करेंगे


रसखान व्याकुल होकर क्या कहते हैं?

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જવાબ : अपनी आंखोसे केब वे बज्के वन, बाग और तालाब निहारेंगे ?


सवैयेके कवि कौन है?

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જવાબ : रसखान


कवि रसखानकी क्‍या विशेषता थी?

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જવાબ : वे मुस्लिम होते हुए भी कृष्ण-भक्त थे


कौनसा सुख पानेके लिए कवि करोड़ों स्वर्णमहलोंका सुख त्याग सकते हें?

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જવાબ : कांटेदार ज़ाडियोंसे ढकी ब्रजभूमिमें रहनेका सुख


गोपीको क्‍या इच्छा होती हैं?

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જવાબ : गोपी श्री कृष्णका रूप धारण करे


गोपी को मुरली कैसी लगती हें?

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જવાબ : अपनी सौतन जैसी


गोपी कृष्ण बननेके लिए क्‍या नही करेंगी?

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જવાબ : कृष्णकी मुरलीको अपने अधर पर नहि सजाएगी


सिद्धियाँ कितनी है?

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જવાબ : आठ


रसखान कोन से  पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं?

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જવાબ : गोवर्धन


यमुना के किनारे कीस का वृक्ष हे?

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જવાબ : कदंब


गोपी श्रीकृष्ण को कैसा प्रेम करती है?

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જવાબ : निश्चल


इद का अर्थ क्या हैं?

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જવાબ : पुरंदर


कीसको रिझाने के लिए गोपी तरह-तरह के स्वाँग करना चाहती हैं?

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જવાબ : श्रीकृष्ण


नंद की धेनु चराने में..............सिद्धि तथा.................निधि का सुख प्राप्त होता हे।

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જવાબ : आठ, नव


यमुना किनारे कदंब की डाल पर रसखान  कोन से रूप में बसना चाहते हैं?

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જવાબ : पक्षी


गोपी गले में कीसकी माला पहनना चाहती है?

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જવાબ : गुंजो


कृष्ण ने कोन से पर्वत को छत्र की तरह धारण किया था?

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જવાબ : गोवर्धन


कालिंदी नदी का दूसरा नाम क्या है?

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જવાબ : यमुना


नंद का छोरा क्या बजाकर सबको रिझा गया है?

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જવાબ : वेणु


रसखान कोन से पर्वत का पत्थर बनना चाहता हे?

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જવાબ : गोवर्धन


गोपी श्रीकृष्ण की तरह अपने सिर पर क्या धारण करना चाहती है।

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જવાબ : मोरपंख


क्या लेकर रसखान वन में भटकते हुए गायें चराना चाहते हैं?

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જવાબ : लकुटी


व्रज की स्त्रियाँ कीस धुन को दीवानी हैं?

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જવાબ : मुरली


नंदजी की गायों के बीच रसखान कीस रूप में निवास करना चाहते हैं?

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જવાબ : पशु


मनुष्य के रूप में रसखान कहाँ बसना चाहते हैं?

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જવાબ : मनुष्य के रूप में जन्म मिलने पर रसखान गोकुल गाँव में ग्वालों के साथ बसना चाहते है।


पशु के रूप में कवि कहाँ निवास करना चाहते हैं?

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જવાબ : पशु के रूप में कवि नंद की गायों के बीच निवास करना चाहते हैं।


रसखान किस पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं?

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જવાબ : रसखान गोवर्धन पर्वत का पत्थर बनना चाहते हैं।


पशुयोनि में जन्म मिलने पर कवि क्‍या करना चाहते हैं?

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જવાબ : पशुयोनि में जन्म लेना कवि के वश में नहीं हैं, परंतु कवि इतना ही चाहते हैं कि प्रतिदिन उन्हें नंद की गायों के बीच चरने का मौका मिले।


आठ सिद्धि और नव निधि का सुख कहाँ प्राप्त होगा?

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જવાબ : आठ सिद्धि और नव निधि का सुख नंद की धेनु चराने में प्राप्त होगा।


कवि रसखान श्रीकृष्ण की लाठी और कंबली पाने के लिए क्‍या त्यागने को तैयार है?

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જવાબ : कवि रसखान श्रीकृष्ण की लाठी और कंबली को पाने के लिए आकाश, पाताल और मृत्यु ये तीनों लोकों का राज्य त्यागने को तैयार हे।


किस पर्वत का पत्थर होना रसखान चाहते हैं? क्‍यों?

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જવાબ : रसखान अगले जन्म में श्रीकृष्ण की जन्मभूमि में उस पर्वत  का पत्थर बनना चाहते हैं, जिसे श्रीकृष्ण ने अपने हाथों पर उठा लिया था। इसका कारण यह है कि वे उस पहाड़ का पत्थर बनकर अपने आपको धन्य मानेंगे, क्योंकि उस पर्वत को श्रीकृष्ण ने स्पर्श किया था।


लकुटी लेकर रसखान क्‍या करना चाहते हैं? क्‍यों?

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જવાબ : लकुटी लेकर रसखान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि में कृष्ण की भाँति वन में भटकते हुए गाएँ चराना चाहते हैं। इससे वे अपने आपको श्रीकृष्ण के समीप होने का अहसास करना चाहते हैं।


श्रीकृष्ण को रिझाने के लिए गोपी क्या-क्या करना चाहती हैं?

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જવાબ : श्रीकृष्ण को रिझाने के लिए गोपियाँ श्रीकृष्ण के तरह-तरह के स्वाँग करना चाहती हैं। वे श्रीकृष्ण की तरह अपने सिर पर मोर-पंख धारण करना चाहती हैं, गुंजों की माला गले में पहनना चाहती हैं तथा पीतांबर ओढ़कर और हाथ में लाठी लेकर गायों के पीछे ग्वालों के साथ-साथ वन में भटकना चाहती हैं।


गोपी कृष्ण की मुरली को अपने अधरों पर क्यों नहीं रखना चाहती?

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જવાબ : गोपियों का श्रीकृष्ण से निश्छल प्रेम है। वे नहीं चाहतीं कि श्रीकृष्ण की मुरली को वे अपने अधरों पर रखकर जूठी करें। वे इस चेष्टा को अपने प्रिय के साथ विश्वासघात मानती हैं।


रसखान श्रीकृष्ण का सामीप्य किन रूपों में किस प्रकार चाहते हैं ?

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જવાબ : रसखान श्रीकृष्ण और उनकी लीला-स्थली से अभिभूत हैं। वे हर उस चीज से सामीप्य चाहते हैं, जिनका संबंध श्रीकृष्ण से रहा है। वे अगले जन्म में गोकुल गाँव में जन्म लेकर वहाँ के ग्वालों के बीच उसी तरह रहना चाहते हैं; जेसे कृष्ण रहते थे। वे पशु के रूप में जन्म लेकर नंद की गायों के बीच चरना चाहते हैं। श्रीकृष्ण बचपन में नंद की गाएँ चराने जाया करते थे। पक्षी के रूप में जन्म लेकर रसखान कदंब के वृक्षों पर रैन-बसेरा करना चाहते हैं। यमुना के किनारे कदंब के पेड़ों पर चढ़कर बचपन में श्रीकृष्ण ग्वाल-बालों के साथ खेला करते थे। यदि अगले जन्म में वे पत्थर बनें, तो उसी पहाड़ का पत्थर बनने की कामना करते हैं, जिसे श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से उठा लिया था, यानी जिसका उन्होंने स्पर्श किया था।


कवि श्रीकृष्ण से संबंधित किन वस्तुओं की अभिलाषा करते हैं? इनके लिए वह किन वस्तुओं को छोड़ने के लिए तैयार है?

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જવાબ : रसखान की श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य श्रद्धा है। वे हर हालत में श्रीकृष्ण के समीप रहना चाहते हैं। इसके लिए वे उन वस्तुओं की अभिलाषा करते हैं, जिनका संबंध श्रीकृष्ण से रहा है। नंद की गायों को चराने के सुख को वे आठों सिद्धियों एवं नौवों निधियों से भी बढ़कर मानते हैं। इसे पाने के लिए वे इन्हें सहर्ष छोड़ने को तैयार हैं। श्रीकृष्ण लाठी और कमली लेकर वन में गाएँ चराने जाया करते थे। इस लाठी और कमली पर वे आकाश, पाताल ओर मृत्यु लोक - तीनों लोकों के राज्य को भी तुच्छ मानते हैं और उसे खुशी-खुशी छोड़ने को तैयार हैं। कवि रसखान को व्रज की काँटेदार झाड़ियों के लिए सोने से बने करोड़ों महलों को भी न्योछावर करने के लिए तैयार हैं। इतना ही नहीं, वे व्रज जिन वनों, बगीचों ओर सरोवरों का संबंध श्रीकृष्ण से रहा है, उन्हें देखने की उनके मन में बड़ी अभिलाषा है।


कृष्ण की मुरली का व्रज की स्त्रियों पर क्‍या प्रभाव पडा ?

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જવાબ : कृष्ण की मुरली की धुन की व्रज की स्त्रियाँ दीवानी थी। श्रीकृष्ण ने अपनी मुरली की मनमोहक तान से व्रज की समस्त स्त्रियाँ को रिझा लिया था। अपनी मुरली की धुन से जैसे उन्होंने व्रज की स्त्रियाँ पर कुछ ऐसा जादू-टोना-सा कर दिया था कि वे उनके ह्र्दय में घर कर गए थे। हालत ऐसी हो गई थी कि किसी को किसी की परवाह नहीं थी। व्रज के सारे स्त्री-पुरुष कृष्ण की मुरली की धुन पर मुग्ध हो गए थे।


कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने के लिए रसखान क्या-क्या न्योछावर करना चाहते हें?

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જવાબ : कवि रसखान के मन में श्रीकृष्ण के प्रति अपार श्रद्धा है। वे अपने आराध्य देव के प्रति समर्पित हैं। श्रीकृष्ण का लकुटी और कमली लेकर गायों को चराने के लिए वन में जानेवाला रूप उनके मन में समाया हुआ है। श्रीकृष्ण के उस रूप का दर्शन करने के लिए वे तीनों लोकों के राज्य को न्योछावर करने को तत्पर हैं। श्रीकृष्णने नंद की जिन गायों को चराया था, वे उन गायों को चराकर अद्भुत सुख प्राप्त करना चाहते हैं। इस सुख के सामने वे आठों सिद्धियों और नौवों निधियों को भी तुच्छ मानते हैं। नंद की गायों को चराने के सुख के सामने वे इन सिद्धियों और निधियों को न्योछावर करने को तैयार हैं। वे व्रज के लता, कुंज एवं पेड़-पौधों का दर्शन करने के लिए बेचैन हैं। इतना ही नहीं, वे व्रज की कँटीली झाड़ियों को भी सोने से बने महलों से मूल्यवान मानते हैं और उनके सामने वे सोने के करोड़ो महलों को न्योछावर करते हैं। |


रसखान ने श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम को किस प्रकार प्रकट किया हे?

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જવાબ : रसखान ने श्रीकृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम को बड़े सुंदर ढंग से प्रकट किया है। गोपियाँ श्रीकृष्ण से इतना प्रेम करती हैं कि वे उनकी हर वस्तु धारण करने के लिए लालायित हैं। वे अपने गले में वे गुंजों की माला पहनेंगी। वे श्रीकृष्ण की तरह अपने सिर पर मोरपंख धारण करेंगी। पीले रंग का वस्त्र ओढ़कर और हाथ में लाठी लेकर वे श्रीकृष्ण के ग्वाल-वेश को धारण क़रेंगी। इतना ही नहीं, वे गायों और ग्वालों के साथ-साथ बन में भी भटकेंगी। श्रीकृष्ण के सारे रूप धारण करना उन्हें  स्वीकार है, पर उनकी मुरली को वे कभी अपने होंठों पर नहीं रखेंगी। अपने होंठों पर श्रीकृष्ण की मुरली को रखकर उसे जूठा करके वे अपने आराध्य कृष्ण का अनादर नहीं करना चाहतीं।


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