GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Gujarati

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

प्रत्येक नागरिक को पूर्णतः लगन एवं निष्ठा के साथ...........से कार्य करना चाहिए।

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જવાબ : ईमानदारी


वृद्ध ईसाई पादरी ने कहा ...

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જવાબ : तुम लोग अपने काम में गर्व नहीं लेते।


भगवान की मूर्ति की स्थापना करने के बाद ...

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જવાબ : उनके कहे अनुसार चलना चाहिए।


वृध्ध सरकारी कर्मचारीने लेखकके प्रश्नका क्या उत्तर दिया ?

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જવાબ : हम अपनी जिम्मेदारी नहीं समज़ते


और देशोमें लोग नौकरीकी दरखास्त कैसे देते हें ?

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જવાબ : साधारण शब्दोमें


श्री प्रकाशजीके दूसरे मित्र कौन है ?

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જવાબ : एक वृध्ध सरकारी कर्मचारी आई.सी.एस. के सदस्य


वृध्ध ईसाई पादरी भारतमैं क्या करते हें ?

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જવાબ : दरिद्र नर- नारीकी सैवामें लगे रहते हैं


वृध्ध सरकारी कर्मचारीके अनुसार हम कौनसा गुण भूल गये है ?

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જવાબ : जो काम उठाया उसे करना चाहिए


देशके लोग कैसे काम करते हें ?

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જવાબ : जैसे संसारकी गति उन्हीं पर निर्भर करती हे


भारतके लोग काम मिलने पर क्‍या करते हें ?

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જવાબ : मिला हुआ काम खराब करनेकी कोशिष करते हैं


वृध्ध ईसाई पादरीने लेखकके प्रश्नका थोडेमें क्‍या उत्तर दिया ?

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જવાબ : तुम लोग अपने काममें गर्व नहि लेते


श्री प्रकाशजीके पहले मित्र कौन हें ?

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જવાબ : वृध्ध ईसाई पादरी


मुल्ककी परंपरामें क्या आदेश है ?

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જવાબ : अपने कामका गर्व करने का आदेश है


प्रकाशजीका तीसरा मित्र कौन है ?

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જવાબ : एक स्त्री


कौनसे कारण से कुटुंब नष्ट हो गये ?

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જવાબ : अंत तक पिता पूत्रको घरके काम नहीं बतलाता


प्रकाशजीके प्रश्नका उनकी मित्रने क्या उत्तर दिया ?

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જવાબ : तुम लोग बड़े आलसी हो


ढेर सारे वैज्ञानिक आविष्कार, औषधियाँ क्यूँ लुप्त हो गये ?

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જવાબ : बड़े बड़े गुणी दूसरों को सिखाये बगैर अपनी विध्या साथ लेकर मर गये


प्रकाशजीकी स्त्री मित्रके अनुसार हम क्या भूल गए हें ?

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જવાબ : जो संसारमें बडे लोग हें वीई सब अथक परिश्रमी रहे हें


प्रकाशजीके प्रश्नका उनकी चौथी मित्रने क्या उत्तर दिया ?

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જવાબ : तुम लोगोंमें उदारता नहीं है


प्रकाशजीका चौथा मित्र कौन है ?

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જવાબ : एक बड़ी वृध्धा स्त्री


धोबी और दर्जीको क्या विश्वास नहीं है?

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જવાબ : उन्हे समय पर दाम मिल जायेंगे


रेलगाड़ी पर चढ़नेवालों को कया विश्वास नहीं हे?

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જવાબ : पहले से बैठे मुसाफिर उन्हें स्थान देंगे


ईसाई पादरी के अनुसार ...

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જવાબ : हम लोग अपने काम में गर्व नहीं लेते।


वृद्ध सरकारी कर्मचारी के अनुसार ...

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જવાબ : हम लोग अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते।


हम सब क्‍यों एक-दूसरे के प्रति अविश्वनीय और अस्पश्य हो गये हैं ?

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જવાબ : हम दूसरोंके प्रति अपने कर्तव्यों का अनुभव नहीं करते


हम सच्चे देशभक्त कब कहलायेंगे ?

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જવાબ : जब हम हमारे कर्तव्य ठीक तरह से करते हैं


वृद्ध स्त्री के अनुसार ...

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જવાબ : भारत में लोग दूसरों को आगे नहीं बढ़ाते।


लेखक के पहले मित्र कौन थे?

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જવાબ : वृद्ध ईसाई पादरी


हम अपनी परंपरा क्‍यों भूल गए हैं?

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જવાબ : लंबी दासता के कारण


'हम अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते' यह वाक्य किसने कहा?

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જવાબ : वृद्ध सरकारी कर्मचारी


'तुम लोगों में उदारता नहीं है।' यह वाक्य किसका है?

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જવાબ : वृद्धा स्त्री


'एक प्रश्न: चार उत्तर' पाठ के लेखक का नाम क्या है?

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જવાબ : श्री प्रकाश


प्रत्येक नागरिक को पूर्णतः लगन एवं निष्ठा के साथ कैसे काम करना चाहिए?

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જવાબ : ईमानदारी से


क्या करनेवाला सच्चा देशभक्त है?

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જવાબ : कर्तव्यपालन


 व्यक्तिगत जीवन संगठित होने से क्या अपनेआप संगठित हो जाएगा।

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જવાબ : मनुष्यसमाज


पहले मित्र कोन हैं?

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જવાબ : वृद्ध ईसाई पादरी


'तुम लोग जिम्मेदारी नहीं समझते यह वाक्य कीसने कहा है?

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જવાબ : वृद्ध सरकारी कर्मचारी


अपने काम में क्या लेना चाहिए?

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જવાબ : गर्व


लेखक के पहले मित्र कौन थे?

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જવાબ : लेखक के पहेले मित्र वृद्ध ईसाई पादरी थे।


लेखक को किस बात की खब्त है?

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જવાબ : लेखक को खब्त इस बात का है कि जब वे किसी से मित्रता कर लेते है उसे सहृदय पाकर वे पूछ लेते हैं कि  'हमारा देश उन्नति क्‍यों नहीं कर रहा हे?'


कुटुंब व्यवस्था किस प्रकार नष्ट हो गई?

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જવાબ : हमारे देश में लोग खुद आगे रहना चाहते हैं किसी को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते, इस प्रकार उदारता का अभाव होने से कुटुंब व्यवस्था नष्ट हो गई।


हम किसकी जय-जयकार करते हैं?

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જવાબ : हमारे देश में बड़े-बड़े नेता हो गए हैं, हम उनकी मूर्ति की स्थापना करके उनका जय-जयकार करते हैं।


सच्चा देशभक्त कोन है?

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જવાબ : जो अपना कर्तव्य ठीक प्रकार से करता है, वह सच्चा देशभक्त है।


हमारे देश में किस प्रकार जागृति आ सकती है?

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જવાબ : हमारे देश के लोग अपने काम में गर्व नहीं लेते हैं। इसके अलावा वे अपनी जिम्मेदारी भी नहीं समझते। यहाँ के लोग श्रम का महत्व नहीं पहचानते और स्वयं मेहनत करने से परहेज करते हैं। गुणी और जानकार लोगों में उदारता नहीं है। वे अपनी विद्या दूसरों को बताना नहीं चाहते। यदि इन बुराइयों- को दूर कर दिया जाए, तो हमारे देश में जागृति आ सकती है।


मनुष्य समाज को संगठित करने के लिए हमें क्‍या करना चाहिए?

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જવાબ : मनुष्य समाज को संगठित करने के लिए हमें अपने नेताओं द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलना चाहिए और उनके आदेशों के अनुसार अपने जीवन का संगठन करना चाहिए। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा कार्यक्षेत्र चाहे छोटा हो या बड़ा, हम अपने हर काम ठीक प्रकार से करें। इससे हमारा व्यक्तिगत जीवन संगठित होगा। हमारा व्यक्तिगत जीवन संगठित हो जाने के बाद मनुष्य-समाज अपने आप संगठित हो जाएगा।


तुम लोगों में उदारता नहीं है'- कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

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જવાબ : यहाँ 'उदारता' शब्द का आशय किसी को आगे बढ़ने देने, किसी को अपनी योग्यता दिखलाने का मौका देने, किसी के विकास का मार्ग अवरुद्ध न करने, अपनी विशिष्ट विद्या अपने जीते जी दूसरों को दे जाने, तथा जरूरतमंद को काम सिखाने आदि के बारे में उदार दृष्टिकोण रखने से है। हमारे देश के लोगों में यह उदारता नहीं होती। वे दूसरों को आगे नहीं बढ़ने देते। स्वयं ही आगे रहना चाहते हैं । गुणी नवयुवकों को अपनी योग्यता दिखाने का अवसर नहीं देते। वे अपनी विद्या भी किसी को नहीं सिखाते और वह उनके साथ ही खत्म हो जाती है। इससे देश और समाज का बड़ा नुकसान होता है और लोगों को उपयुक्त अवसर पाने से वंचित रह जाना पडता है।


ईसाई पादरी ने लेखक के प्रश्न का उत्तर किस प्रकार दिया?

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જવાબ : ईसाई पादरीने लेखक के प्रश्न के उत्तर में कहा कि, तुम लोग अपने काम में गर्व नहीं लेते। विस्तार से उन्होने कहा कि यहाँ के लोगों की कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है। जब किसी को कोई नौकरी चाहिए तो  अतिशयोक्तिपूर्ण शब्दों में वह दरंखास्त देता हैं। बहुत ही 'विनय' और 'सम्मान' के साथ वह आरंभ करता है। अंत में प्रतिज्ञा करता हैं कि यदि स्थान मिल जायेगा, तो वह सदा अपने मालिक की शुभकामना करेगा । पर नौकरी मिलते ही वे अपनी जीविका को ही खराब समझने लगते हैं। अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर काम खराब करने के लिए षड़यंत्र रचने लगते हैं और मालिक की नाकों दम करा डालता हैं। अन्य देशों में लोग साधारण शब्दों में नौकरी के लिए दरखास्त देते हैं और जब स्थान मिल जाता हैं, तो वे बड़ी निष्ठा और लगन से काम करते हैं। हमें इस बात पर ध्यान देना जरूरी है।


वृद्ध सरकारी कर्मचारी ने लेखक के प्रश्न का उत्तर किन-किन उदाहरणों से समझाया?

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જવાબ : वृद्ध सरकारी कर्मचारी को जब लेखक ने अपने देश के उन्नति न करने का कारण पूछा, तो उन्होंने उत्तर दिया कि आपके देश के लोगों में जिम्मेदारी की भावना नहीं है। लोग दुसरो के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं जानते। लिए गए काम को पूरा करने का गुण लोग भूल गए हैं। इसलिए किसी को किसी-पर विश्वास नही है। खाने की दावत हो, तो मेजबान को यह विश्वास नहीं होता कि महेमान समय से आएंगे ओर मेहमान को यह विश्वास नहीं होता कि समय पर जाने से खाना मिल जाएगा। गृहस्थ को यह विश्वास नहीं होता की धोबी ओर दरजी वादे पर कपड़े दे जाएँगे और धोबी और दरजी को यह विश्वास नही होताकी समय पर दाम मिल जाएँगे। रेलगाडी से यात्रा करनेवाले को विश्वास नहीं होता कि पहले से बैठे यात्री उसे स्थान देंगे और पहले से बैठे यात्रियों को यह विश्वास नहीं होता कि आनेवाला यात्री आने पर व्यर्थ का शोर नहीं मचाएगा। पैदल चलनेवाले को यह विश्वास नहीं होता कि आगे चलनेवाला व्यक्ति अपना छाता इस तरह खोलेगा कि छाते की नोक से उसकी आँख न फूट जाएगी। आगे चलनेवाले व्यक्ति को यह विश्वास नहीं होता कि पीछेवाला व्यक्ति उसे धक्का नहीं देगा। किसी को किसी पर यह विश्वास नहीं कि केले, नारंगी का छिलका या सुई, पिन आदि इस तरह वह न छोड़ेगा, जिससे दूसरों को कष्ट पहुँचे। यहाँ के लोग अपनी तात्कालिक सुविधा देखते हैं। दूसरों के प्रति वे अपने कर्तव्यों का अनुभव नहीं करते।


एक बड़ी वृद्धा स्त्री ने प्रश्न का उत्तर किस प्रकार दिया ?

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જવાબ : एक बड़ी वृद्धा स्त्रीने लेखक के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि भारत के लोगों में उदारता नहीं है। इसलिए वे खुद ही आगे रहना चाहते हैं और दूसरों को आगे नहीं बढ़ाते। हमारे देश में अनेक गुणी नवयुवक हैं। वे इन नवयुवकों को अपनी योग्यता दिखाने का मौका नहीं देते। वे अपने गुण दूसरों को नहीं सिखाते और मरने के बाद उनका गुण व्यर्थ हो जाता है। यहाँ अंत तक पिता पुत्र को घर का काम नहीं बतलाता। इसके कारण अनेक कुटुंब नष्ट हो गए। देश में भी यही हालत है- बड़ा छोटों को काम नहीं सिखाता। इसका परिणाम यह हुआ है कि लोगों की प्रतिभा धरी की धरी रह जाती है और उसका उपयोग नहीं हो पाता। इस प्रकार अनेक आविष्कार, औषधियाँ और वैज्ञानिक लुप्त हो जाते हैं।


देश को कैसे नागरिकों की आवश्यकता है और क्यों?

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જવાબ : किसी भी देश की उन्नति उसके गुणी, परिश्रमी. निष्ठवान, जिम्मेदार, उदार तथा विवेकशील नागरिकों पर आधारित होती है। हमारे देश को ऐसे सच्चे और ईमानदार नागरिकों की आवश्यकत है, जिनकी कथनी और करनी में अंतर न हो। वे जो काम लें, उसे निष्ठापूर्वक संपन्न करें। साथ ही उन्हें दूसरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी अहसास होना जरूरी है। प्रत्येक नागरिक को श्रम का महत्व समझना चाहिए और यह बात मानकर चलना चाहिए कि संसार में कठिन परिश्रम के बिना कभी किसी को कुछ नहीं मिलता है। संसार में जो भी बड़े हुए हैं, वे सब अथक परिश्रमी रहे हैं। देश को अथक परिश्रम करनेवाले नागरिकों की आवश्यकता है। इसके अलावा नागरिकों में उदारता का गुण होना भी आवश्यक है। उनमें नवयुवकों को आगे बढ़ाने की उदारता होनी चाहिए। वे लोगों की काम सीखने में मदद करें। लोग ऐसे हों, जो अपने गुण, अपनी कला लोगों को देने में संकोच न करें। देश को ऐसे ही कर्मठ और उदार नागरिकों की आवश्यकता है।


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