GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Gujarati

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भारतवर्ष हमारा है काव्यमें किस के लिए कविने आहवान किया है ?

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જવાબ : भारत के नवनिर्माण के लिए


नए युग के नयनों में क्या भरा है ?

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જવાબ : ज्वलित अग्नि के पूंज


जलथधी क्या सीख रहे थे ?

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જવાબ : लहराना


उस कविता में कविका कौनसा प्रेम ज़लकता है ?

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જવાબ : राष्ट्रप्रेम


घटाओंने क्या सीखा था ?

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જવાબ : सबसे पहले घहराना


कोटी कोटी कंठों से कौनसी आवाज़ निकलती है ?

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જવાબ : भारतवर्ष हमारा है हिंदुस्तान हमारा है


उत्साह भरे वचन सुनकर सारे विरोधी जन-गण की क्‍या हालत होती है ?

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જવાબ : उनके हृदय काँप उठते है


उत्साह भरे वचन सुनकर कौन काँप उठा है ?

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જવાબ : सारे विरोधी जन-गण


उत्साह भरे वचन सुन कौन गरज उठा है?

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જવાબ : बयालीस करोड़ लोग


करोड़ों कंठों से क्या आवाज उठी?

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જવાબ : करोड़ों कंठों से यह आवाज़ उठी कि ' भारतवर्ष हमारा है, हिन्दुस्तान हमारा है।


हिन्दुस्तान के प्रति जनता का अभिमान कब से हैं?

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જવાબ : हिन्दुस्तान के प्रति जनता का अभिमान आदि-अनादि से हैं।


नवयुग के नयनों में क्‍या भरा है?

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જવાબ : नवयुग के नयनों में अग्नि के जलते हुए पुंज भरे हैं।


भारत का अस्तित्व कब से हैं?

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જવાબ : नव सिरजन के स्वप्न जागे थे, तब से भारत का अस्तित्व हैं।


नवसर्जन के स्वर कब जागे थे?

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જવાબ : तारें और सूरज अस्तित्व में आए तब से नवसर्जन के स्वर जागे थे।


भारतवर्ष हमारा है यह स्वधारा किसकी है?

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જવાબ : भारतवर्ष में करोड़ों लोग रहते हैं। भारतवर्ष के सभी लोग भारतवर्ष हमारा है का स्वर बुलंद करते हैं। यह स्वरधारा भारतवर्ष के करोडों-करोडों लोगों की हे।


नवसर्जन के स्वप्न कबसे जागे?

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જવાબ : जिस दिन सबसे पहले देश के नवनिर्माण की अनेक कल्पनाए हमारे मन में उठीं, देश-काल के दो-दो विशाल और सुंदर वितानो कि रचना हुई। जिस दिन आकाश में असंख्य तारे छिटके और सूरज-तारे अस्तित्व में आए, उसी समय से नवसर्जन के स्वर जागे थे।


भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान कबसे हे?

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જવાબ : हमारा देश भारतवर्ष बहुत प्राचीन देश है। जब घटाओं ने सबसे पहले घहराना सीखा था, जब पहले-पहल हवाओं ने हहरानां सीखा था और सभी समुद्र लहराना सीख रहे थे, उस समय से भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान है। अर्थात्‌ अनादि-आदि काल से भारतवर्ष हमारा जन्मस्थान हे।


करोड़ों लोगों के उत्साहभरे वचन क्‍या थे?

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જવાબ : करोड़ों लोगों के उत्साहभरे वचन थे कि यह भारतवर्ष हमारा महान देश है। दुनिया का ऐसा कौन-सा देश है जो हमारे देश का सामना कर सके? यह एक अद्वितीय देश है।


कवि भारत का प्रतिपक्षी किसे मानते हैं?

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જવાબ : भारत का स्वतंत्रता आंदोलन यहाँ अपनी सत्ता जमाए बैठे अँग्रेजों के खिलाफ था। कवि उन्हीं को भारत का प्रतिपक्षी मानते हैं।


'हिन्दुस्तान हमारा है' स्वरधारा किसकी और कबसे हैं?

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જવાબ : 'हिन्दुस्तान हमारा है यह स्वरधारा हमारे देश में रहनेवाले कोटि-कोटि लोगों की है। जब से पृथ्वी और आकाश का उद्‌भव हुआ है और जबसे आकाश में तारे छिटके और सूर्य-चाँद बने हैं, तभी से हमारे देश का अस्तित्व है। यह स्वरधारा अनादि-आदि काल से हैं।


कवि बालकृष्ण 'नवीन' भारत के लिए क्या कहते हैं?

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જવાબ : कवि बालकृष्ण 'नवीन' भारत के लिए कहते हैं कि हमारा देश भारतवर्ष बहुत प्राचीन देश है। भारतवर्ष एक महान देश है। यह अनादि-आदि काल से हमारा जन्म-स्थान है। इस बात का देश के बयालीस करोड़ निवासियों को गर्व है। उनकी गर्जना सुनकर दुश्मनों के हृदय सिहर उठते हैं। उनका सामना कोई नहीं कर सकता।


गरज उठे बयालीस कोटिजन, .............. हिन्दुस्तान हमारा है।

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જવાબ : कवि कहते हैं कि भारतवर्ष की समूची बयालीस करोड़ जनता एक स्वर में भारतवर्ष हमारा हैं, यह हिन्दुस्तान हमारा हैका हुंकार भर रही है। वे कहते हैं कि देशवासियों के ये उत्साहभरे वचन सुनकर हमारे विरोधियों (दुश्मनों) के दिल दहल उठे हैं। आज के नए युग के हमारे देशवासियों की आँखों में दुश्मनों के लिए आग के शोले भड़क रहे हैं। उनका सामना करने की किसी में हिमत नहीं हे। हमारा देश महान है। यह भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।


कोटि-कोटि........जिस दिन सूरज-चाँद बने।

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જવાબ : कवि भारतवर्ष के गौरव का बखान करते हैं। वे कहते है कि भारतवर्ष में रहनेवाले करोड़ों लोगों के कंठों से यह स्वर निकलता रहा है कि भारतवर्ष हमारा है। यह हिन्दुस्तान हमारा है।

कवि कहते हैं कि हमारा भारतवर्ष गौरवशाली और अत्यंत प्राचीन देश है। जब सबसे पहले विश्व के रचयिता के मन में विश्व का निर्माण करने का ख्याल आया था; जिस समय धरती और आकाश का निर्माण हुआ था और जबसे आकाश में सूर्य और चाँद अस्तित्व में आए थे तथा आकाश में सर्व तारे फैल गए थे, तबसे हमारा यह भारतदेश अस्तित्व में हैं। अपने देश पर हमें गर्व है।


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भारतवर्ष हमारा है


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