GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Hindi

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

पूरे परिवारमैं सबसे ज़्यादा कौन बूढी काकीको प्यार करता था ?

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જવાબ : बुध्धिरामकी छोटी बेटी लाडली


बुढापेको किसका पुनरागमन बताया गया है ?

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જવાબ : बचपन


बूढी काकीका इस दुनियामैं कौन था ?

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જવાબ : भतीजा


बूढी काकीमैं कौनसी चेष्टा शेष थी ?

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જવાબ : जीभके स्वादकी


बूढी काकी पध्य के लेखक कौन है ?

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જવાબ : प्रेमचंद


बूढी काकी अपने दुखोकी ओर आकर्षत करने के लिये क्या करती थी ?

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જવાબ : रोनेका सहारा लेती थी


बुध्धिरामके घर क्यो शहनाई बज रही थी?

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જવાબ : बुध्धिरामके बेटेका तिलक आया था


बूढी काकीके बारेमैं कौनसी बात प्रसिध्ध थी ?

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જવાબ : वे केवल खानेके लिए रोती थी


जब कोई बात बूढी काकीकी ईच्छा के खिलाफ होती तो वो क्‍या करती थी ?

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જવાબ : वो गला फाड फाडकर रोती थी


बूढी काकीने अपनी सारी सम्पति किसके नाम लिख दी थी ?

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જવાબ : अनाथ आश्रममैं


बूढी काकी क्यो रो नहि सकी ?

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જવાબ : अपशकुनके डरसे


बूढी काकी की कल्पनामैं क्या नाचने लगा ?

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જવાબ : पूडियॉँकी तसवीर


कचौडिके बारेमै बूढी काकी क्‍या सोचने लगी ?

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જવાબ : कचौडिमै अजवाईन और ईलायचीकी महक आ रही होगी


रूपाके गुस्सा करने पर बूढ़ी काकी ने क्या किया ?

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જવાબ : वापस अपनी कोठरी में चली गयी


बूढ़ी काकीको किस बात का दुःख था?

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જવાબ : अपनी जल्दबाजी का


बूढी काकीने क्‍या निर्णय किया ?

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જવાબ : कचौडिया नहि खाने का


मन बहलानेके लिए बूढ़ी काकी क्‍या करने लगी ?

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જવાબ : लेटकर गीत गुनगुनाने लगी


बूढ़ीकाकी के लिए कौन परेशान हो रहा था ?

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જવાબ : लाडली


बूढी काकीको कड़ाह के पास देखकर रूपा का कया हुवा ?

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જવાબ : रूपाका क्रोध न रुक सका


पंडित बुध्धिरामने बूढ़ी काकीको महेमानो के बीच देखकर क्या किया ?

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જવાબ : उन्हे घसीटकर अंधेरी कोठरीमें पटक दिया


रूपा ने खाना देकर बूढ़ी काकीको क्या करने को कहा ?

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જવાબ : परमात्मा से प्रार्थना करके अपना अपराध क्षमा करवाने को कहा


लाडलीने अपने हिस्सेकी पुड़िया क्‍यों नहि खाई ?

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જવાબ : वो उन पुड़ियोंको काकीके पास ले जाना चाहती थी


थोड़ीसी पुड़ियाँ खानेके बाद बूढ़ी काकी को क्‍या हुआ ?

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જવાબ : उनकी क्षुधा और उत्तेजित एचओ गयी


जूठे पत्तलों के पास बेठकर काकी क्या करने लगी ?

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જવાબ : पुड़ियों के जूठे टूकड़े चुनकर खाने लगी


बूढ़ी काकीने लाडली को क्‍या कहा ?

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જવાબ : महेमानोंने जहां बैठकर खाना खाया था वहाँ ले जाने को कहा


लाडली क्‍या करना चाहती थी ?

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જવાબ : बूढ़ी काकीको धैर्य देना चाहती थी


बूढ़ी काकी को ज़ूठी पुड़ियाँ खाते हुए देखकर रूपाकी क्या हालत हो गयी ?

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જવાબ : करुणा और भयसे उसकी आंखे भर आई


बूढ़ी काकीमें इच्छाओं का केंद्र क्या था?

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જવાબ : उनकी स्वादेन्द्रियां


बूढ़ी काकी को ज़ूठी पुड़ियाँ खाते हुए देखकर रूपाने क्या किया ?

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જવાબ : भंडार खोलकर काकीके लिए थलीमें सारा भोजन सजाया और काकीको दिया


लाडली बूढ़ी काकीको धैर्य देने क्‍यों न जाती थी ?

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જવાબ : वो अपनी माँ से डरती थी


बूढी काकी के भतीजे का क्या नाम था ?

Locked Answer

જવાબ : पं. बुद्धिराम


रूपा किसकी पत्नी थी ?

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જવાબ : पं. बुद्धिराम


किसने अपने हिस्से की पूडियाँ काकी के लिए बचाकर रखी थीं ?

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જવાબ : लाडली


बूढी काकी को पत्तलों पर से जूठी पूडी के टुकडे खाता देखकर कौन सन्न रहा गया?

Locked Answer

જવાબ : रूपा


बुद्धिराम के घर पूड़ियाँ बन रही थी, क्योंकि...

Locked Answer

જવાબ : बुद्धिराम के लड़के सुखराग के तिलक का उत्सव था।


घी और मसालों की सुगंध ने...

Locked Answer

જવાબ : बूढ़ी काकी को बेचैन कर दिया था।


बुढ़ापा तृष्णा रोग का अंतिम समय है, ...

Locked Answer

જવાબ : जब संपूर्ण इच्छाएँ एक ही केंद्र पर आ लगती है।


थोड़ी पूडियों ने काकी की क्षुधा और इच्छा को और ...

Locked Answer

જવાબ : उत्तेजित कर दिया था।


काकी के लिए बात प्रसिद्ध थी कि वह खाने के लिए रोती है, अतएव ...

Locked Answer

જવાબ : उनके संताप और आर्तनाद पर कोई ध्यान नहीं देता था।


बूढ़ी काकी में कोनसी चेष्टा शेष बची थी?

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જવાબ : स्वादकी


बुद्धिराम बूढ़ी काकी का क्या लगता था?

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જવાબ : भतीजा


बूढ़ी काकी को क्या बैचेन करती थी?

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જવાબ : भूख


बुढ़ापा किस रोग का अंतिम समय हैं?

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જવાબ : तृष्णा का


किसने अपने हिस्से की पूड़ियाँ काकी के लिए बचाकर रखी थी?

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જવાબ : लाड़लीने


रूपा कीसकी पत्नी थी?

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જવાબ : पं. बुद्धिरामकी


बूढ़ी काकी को कीसकी सुगंध बेचेन कर रही थी?

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જવાબ : घी और मसालों की


लाड़ली बूढ़ी काकी पूड़ियाँ देना चाहती थी, परंतु उसे किसका डर सता रहा था।

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જવાબ : माँ का


बूढ़ी काकी की कल्पना में लाल-लाल फूलीं पूड़ियाँ क्या कर रही थी?

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જવાબ : नाच रही थी


बुद्धिराम की बेटी लाड़ली काकी के लिए कौन-सा कवच थी?

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જવાબ : सुरक्षा का


क्रोधित बुद्धिराम ने काकी को कहाँ पटक दिया?

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જવાબ : अंधेरी कोटरी में


लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का स्वाभाविक रूप से क्या होता है?

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જવાબ : विद्वेष


बूढ़ी काकी के भतीजे का क्‍या नाम था?

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જવાબ : पं. बुद्धिराम


रूपा किसकी पत्नी थी?

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જવાબ : पं. बुद्धिराम


किसने अपने हिस्से की पूडियाँ काकी के लिए बचाकर रखी थी?

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જવાબ : लाड़ली


बूढ़ी काकी को पत्तलों पर जूठी पूडी के टुकड़े खाता देखकर कौन सन्‍न रह गया?

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જવાબ : रूपा


परमात्मा से प्रार्थना कर दो कि वे मेरा अपराध क्षमा कर दें।यह वाक्य कौन कहता हे?

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જવાબ : रूपा


बूढ़ी काकी कैसे रोती थी?

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જવાબ : बूढ़ी काकी गला फाड़-फाड़कर रोती थी।


बुद्धिराम के घर किस उत्सव में पूडियां बन रही थीं?

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જવાબ : बुद्धिराम के बड़े लड़के सुखराम के तिलक का उत्सव था. इसलिए बुद्धिराम के घर पूडियाँ बन रही थीं।


बूढ़ी काकी को कहाँ पर बैठा देखकर रूपा क्रोधित हो गई?

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જવાબ : बूढ़ी काकी को कड़ाह के पास बैठा देखकर रूपा क्रोधित हो गई।


किस खुशी में लाड़ली को नींद नहीं आ रही थी?

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જવાબ : काकी को पूडियाँ देने की खुशी में लाड़ली को नींद नहीं आ रही थी।


उत्सव के दिन बूढ़ी काकी किसके डर से नहीं रो रही थी?

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જવાબ : उत्सव के दिन अपशुकन के डर से काकी नहीं रो रही थी।


बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र कौन-सी इंद्रिय थी?

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જવાબ : बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र स्वार्देद्रिय थी।


रूपा की आँख खुलने पर उसने क्या देखा?

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જવાબ : रूपा की आँख खुलने पर उसने देखा कि लाड़ली जूठे पत्तलों के पास चुपचाप खड़ी है और बूढ़ी काकी पत्तलों पर से पूडियों के टुकड़े उठा-उठाकर खा रही हैं।


कौन-सा दृश्य देखकर रूपा का हृदय सन्‍न हो गया?

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જવાબ : बूढ़ी काकी जूठे पत्तलों पर से पूडियों के टुकड़े उठा- उठाकर खा रही थी, यह दृश्य देखकर रूपा का हृदय सन्‍न हो गया।


बूढ़ी काकी कैसे खाना खा रही थी?

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જવાબ : भोले-भाले बच्चें, जो मिठाइयाँ पाकर मार और तिरस्कार सब भूल जाते हैं, वेसे बूढ़ी काकी सब भुलाकर खाना खा रही थी।


लाड़ली की पूडियों का काकी पर क्या असर हुआ?

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જવાબ : जैसे थोड़ी-सी वर्षा ठंडक के स्थान पर गरमी पैदा कर देती है, उसी तरह इन थोड़ी पूडियों ने काकी की क्षुधा और इच्छा को और उत्तेजित कर दिया था।


बुद्धिराम के संपूर्ण परिवार में काकी से किसे अनुराग था?

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જવાબ : बुद्धिराम के संपूर्ण परिवार में काकी से केवल बुद्धिराम की छोटी बेटी लाड़ली को ही अनुराग था।


बूढ़ी काक़ी कब रोती थीं?

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જવાબ : बूढ़ी काकी में जीभ के स्वाद के सिवा कोई चेष्टा शेष नहीं थी। जब घरवाले उनकी इच्छा के विपरीत कोई काम करते, उनके भोजन का समय टल जाता या भोजन की मात्रा कम होती अथवा बाजार से कोई चीज आती और उन्हें न मिलती, तो वे रोती थीं।


लड़के बूढ़ी काकी को कैसे सताते थे?

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જવાબ : लड़कों में से कोई उन्हें चुटकी काटकर भागता था और कोई उन पर पानी की कुल्ली कर देता था। इस तरह लड़के बूढ़ी काकी को सताते थे।


बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की कैसी तसवीर नाचने लगी?

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જવાબ : बूढ़ी काकी की कल्पना में लाल-लाल, फूली-फूली और नरम-नरम पूड़ियों की तसवीर नाचने लगी।


थाली में भोजन सजाकर बूढ़ी काकी को खिलाते समय रूपा ने क्‍या कहा?

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જવાબ : रूपाने थाली में भोजन सजाकर बूढ़ी काकी के सामने रखा और कहा, ''काकी उठो, भोजन कर लो। मुझसे आज बड़ी भूल हुई, उसका बुरा न मानना। परमात्मा से प्रार्थना कर दो कि वे मेरा अपराध क्षमा कर दें।


बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी की संपत्ति कैसे हथिया ली थी?

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જવાબ : बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी से खूब लंबे चौड़े वादे किए और उन्हें तरह-तरह के सब्जबाग दिखाए। बूढ़ी काकी उसके झाँसे में आ गई। इस तरह बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी की संपत्ति हथिया ली।


क्‍या देखकर रूपा को पश्चाताप हुआ? क्यों?

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જવાબ : रूपा के बड़े लड़के सुखराम के तिलक में मेहमानों को पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ तथा मसालेदार सब्जियाँ परोसी गई थीं। सब खा-पीकर सो गए, पर बूढ़ी काकी को खाने के लिए किसी ने नहीं पूछा। रात को रूपा की नींद खुली तो उसने जो दृश्य देखा उससे उसका हृदय सन्‍न रह गया। भूख से व्याकुल बूढ़ी काकी जूठे पत्तलों से चुन-चुनकर पूड़ियों के टुकड़े खा रही थीं। यह देखकर उसे अपनी भूल पर बहुत पश्चाताप हुआ। उसने सोचा कि जिसकी संपत्ति से उसे दो सौ रुपए वार्षिक आय होती है, उसके साथ उसने यह कैसा बर्ताव किया।


रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति कब अमानुषी व्यवहार किया? और क्‍यों?

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જવાબ : रूपा और बुद्धिराम के बड़े लड़के सुखराम के तिलक में पूड़ियाँ, कचौड़ियाँ निकाली जा रही थीं और मसालेदार सब्जी बन रही थी। घी और मसालों की सुगंध चारों ओर फैल रही थी। बूढ़ी काकी को यह सुगंध बेचेन कर रही थी। वे रेंगते-रेंगते कड़ाह के पास पहुँच गई थीं। इस पर रूपा आग-बबूला हो उठी थी और उसने काकी को दोनों. हाथों झटककर उनको बहुत जलील किया था। इसके बाद एक बार फिर बूढ़ी काकी भोजन की आशा में सरकती हुई आँगन में आ गई थीं, पर मेहमान तब तक भोजन कर ही रहे थे। इस पर बुद्धिराम क्रोध से तिलमिला गया था। वह काकी के दोनों हाथ पकड़कर घसीटते हुए. उन्हें उनकी कोठरी में पटक आया था। इस प्रकार रूपा और बुद्धिराम ने बूढ़ी काकी के प्रति इन दो अवसरों पर अमानुषी व्यवहार किया था।


खाने के बारे में बूढ़ी काकी के मन में कैसे-केसे मंसुबे बँधे?

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જવાબ : खाने के बारे में बूढ़ी काकीने तरह-तरंह के मंसूबे बाँधे थे। बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की तस्वीर नाच रही थी। पूड़ियाँ लाल-लाल, फूली-फूली, नरम-नरम होंगी।] कचोड़ियों में आजवाइन और इलायची की महक आ रही होगी। वे कहतीं, पहले सब्जी से पूड़ियाँ खाऊंगी, फिर दही और शक्कर से। कचौड़ियाँ रायते के साथ मजेदार मालूम होंगी। वे कहतीं, चाहे कोई बुरा माने चाहे भला, वे माँग-माँगकर खाएँगी। लोग यही कहेंगे न कि इन्हें विचार नहीं है। कहा करें लोग। इतने दिन के बाद पूड़ियाँ मिल रही हैं, तो मुँह जूठा करके थोड़े ही उठ जाएँगी। इस प्रकार बूढ़ी काकी के मन में खाने के बारे में मंसूबे बँधे थे।


'बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है।' लेखक ने ऐसा क्यों कहा हे?

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જવાબ : अपने जीवन में मनुष्य की तरह-तरह की कामनाएँ, होती हैं। बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था तथा प्रौढ़ावस्था तक मनुष्य को जल्द-से-जल्द कामनाओं की पूर्ति की उतनी चिता नहीं होती, जितनी वृद्धावस्था में। क्योंकि वृद्धावस्था में मनुष्य के जीवन के गिने-चुने वर्ष ही बचे रहते हैं। वह जीवन के बचे-खुचे वर्षों में अपनी कामनाओं को पूरा करने की हर हालत में कोशिश करता है। इसके लिए उसे बुरे- भले, मान-अपमान की परवाह नहीं होती। इसलिए लेखक ने कहा है कि बुढ़ापा तृष्णारोग का अंतिम समय है।


बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है।

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જવાબ : ऐसा कहा जाता हैं की बुढ़ापा बचपन का ही एक रूप है। वृद्धावस्था में मनुष्य की हरकतें बच्चों जेसी हो जाती हैं। वृद्धावस्था में मनुष्य के अंग-प्रत्यंग कमजोर हो जाते हैं और उन्हें बच्चों की तरह दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। दिमाग कमजोर हो जाता है और याददाश्त बच्चों की तरह हो जाती है। दाँत गिर जाते हैं और मनुष्य का मुँह बच्चों की तरह पोपला हो जाता है। बच्चों की कि तरह वृद्धों को मान-अपमान की परवाह नहीं होती। जैसे बच्चों की बातों|पर ध्यांन नहीं दिया जाता, उसी प्रकार वृद्धों की बातों पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। उनकी इच्छा- अनिच्छा का भी कोई महत्व नहीं होता। वृद्धावस्था और बचपन की अधिकांश बातों में समानता होती है। इसलिए कहा जा सकता है कि, बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन होता है।


लड़कों का बूढ़ों से स्वाभाविक विद्वेष होता ही है।

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જવાબ : लड़कों का बूढ़ों से स्वाभाविक विद्वेष होता है क्योकी लड़कों और बूढ़ों के बीच पीढ़ियों का अंतर होता है। हर बात के संबंध में दोनों की सोच में अंतर होना स्वाभाविक है। अधिकांश बूढ़े किसी बात को अपने ढंग से सोचते हैं और उसके बारे में उनकी अपनी धारणा बनी होती है। हर बात को अपने इसी पैमाने पर कसने का वे प्रयास करते हैं। जबकि, नई पीढ़ी के लड़कों की सोच नए ढंग की होती है। इसलिए दोनों के विचारों में टकराव होना स्वाभाविक है। इस अर्थ में लड़कों और बूढ़ों में स्वाभाविक विद्वेष होता ही है।


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बूढी काकी


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