GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Hindi

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

आजकल के साधु के सामने कोई तर्क करने आये तो वे क्या करेंगे ?

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જવાબ : अपनी पोल खुल न जाए इसलिए मौन रहेंगे।


कवि भक्‍तगण को कौन-से गुण ग्रहण करने की बात करते हुए व्यंग्य करते हैं?

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જવાબ : हाथ में गोमुखी लेकर ईश्वर स्मरण करना


ढोंगी बाबा की खोपड़ी किसके जैसी है?

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જવાબ : सीप जैसी


ढोंगी बाबा भक्तों के प्रश्नों का उत्तर न देना पड़े इसलिए क्या करते हैं ?

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જવાબ : मौन व्रत ले लेतें हैं


धूर्त बाबा गौमुखी हाथ में लेकर क्‍या करते है ?

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જવાબ : भीतर से मीठी छूरी चलाते है


जब फल की याद सताए तो कवि क्‍या करने को कहते हैं ?

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જવાબ : पपीता तोड़कर खाने को


कवि कौनसा भय छोडने को कहते हैं ?

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જવાબ : कवि कौनसा भय छोडने को कहते हैं ?


ढोंगी बाबा के सामने से तार्किक विद्वान कैसे हट जाएंगे ?

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જવાબ : शीघ्र मौन व्रत ले लेने से


ढोंगी बाबा की देह किसके जेसी चमक रही है ?

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જવાબ : दीप जैसी


ढोंगी बाबा कहाँ जोंपड़ी बनातें है ?

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જવાબ : नगर से बाहर बगीचे में


साधूपदेश काव्य में किस बात का चित्रण किया गया है ?

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જવાબ : ढोंगी धूर्त बाबाओं की लीला का


क्‍या छोडकर कवि निष्काम सेवा करने को कहते हैं

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જવાબ : फल की इच्छा


अगर पाप का घड़ा भर जाए तो कवि क्या करने को कहते हें ?

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જવાબ : काशी पहुँच कर फोड़ देने को


साधु का शरीर कैसा हे?

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જવાબ : दिव्य और चमकता


साधु बाहर से कैसे है?

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જવાબ : नम्र


नाम जपने का साधन क्या है ?

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જવાબ : माला


ढोंगी साधू के मतानुसार आप अपने हाथ में हमेशा माला लेकर गोमुखी में उसे फिराते रहिए, ताकि...

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જવાબ : लोगों को यह लगे कि आप ईश्वर के नाम, का जाप करते रहते हैं।


ढोंग करने के लिए...

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જવાબ : ऊपरी दिखावा करना जरूरी है।


सच्चा साधु दिखाई देने के लिए मुंडन करा लीजिए...

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જવાબ : जिससे आपका सिर सिप की तरह चमकता रहे।


ढोंगी साधु भक्तों को उपदेश देते हुए कहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति आपसे किसी विषय पर तर्क करे तो ...

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જવાબ : उससे डरकर भयभीत न हों।


साधु के हाथ में क्या होनी चाहिए?

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જવાબ : गोमुखी


साधु बाहर से कैसा होना चाहिए?

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જવાબ : नम्र


साधु की देह किसकी तरह चमकनी चाहिए?

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જવાબ : दीप


साधु को अपनी क्या खुलने का भय नहीं लगना चाहिए?

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જવાબ : पोल


साधु का क्या देखकर विद्वान तर्क नहीं करेंगे?

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જવાબ : मौन-व्रत


साधु अपना पाप भरा घड़ा कहा आकर फोडेगा?

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જવાબ : काशी


कवि ने किस गुण पर करारा व्यंग्य किया है?

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જવાબ : मुख में राम बगल में छुरी


साधु अपने उपदेश को बढावा देने के लिए शहर से दूर कहा झोंपड़ी बनाते हैं?

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જવાબ : बगीचे


'साधूपदेश' काव्य में किस लोगों पर व्यंग्य किया है?

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જવાબ : अनपढ


तर्क का भय कैसे साधु को रहता है?

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જવાબ : दंभी


दिखावा करते हुए साधु कैसा व्यवहार करता है?

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જવાબ : दिखावा करते हुए साधु हाथ में गोमुखी लेकर माला फेरता रहता है और ऊपर से विनम्र बना रहता है और अंदर से छल-कपट करने से नहीं चूकता।


साधु का दिखावा कैसा है?

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જવાબ : साधु का शरीर दिव्य और चमकता हुआ है तथा उसका सिर घुटा हुआ और सीप की तरह चिकना है।


दंभी साधुओं को किस बात का भय सताता है?

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જવાબ : दंभी साधुओं को इस बात का भय सताता है कि यदि कोई तर्क करने के लिए आ जाए और वे उसका उचित जवाब न दे पाएँ, तो उनकी पोल न खुल जाए।


साधु मौन धारण क्‍यों करते हैं?

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જવાબ : साधु इसलिए मौन धारण करते हैं, ताकि यदि कोई उनसे कोई गूढ़ प्रश्न पूछे, तो उसका उत्तर देने से वे बच सकें। इस युक्ति से उनका धर्मसंक्ट कट जाता है।


साधु उपदेश देने के लिए झोंपड़ी कहाँ बनाते हैं?

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જવાબ : साधु उपदेश देने के लिए झोंपड़ी शहर से दूर बगीचे में बनाते हैं।


ढोंगी साधु भक्तजनों को क्या उपदेश देते हैं?

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જવાબ : ढोंगी साधु भक्तजनों को उपदेश देते हैं कि वे अपने हाथ में गोमुखी लेकर माला फिराने का ढोंग करते रहें। ऊपर से विनम्र और सज्जन दिखने का ढोंग करते रहें, पर अंदर से छल-कपट करने से न चूकें। शहर से दूर झोंपड़ी बनाकर निवास करें और सिर मुँड़ा कर, चंदन आदि से श्रृंगार करते रहें। मौनव्रत धारण करें, फल की इच्छा न करें, नर्क की परवाह न करें और खूब पाप करें।


आजकल के साधु अपने पर आए हुए धर्मसंकट को किस युक्ति से टालते हैं?

Locked Answer

જવાબ : आजकल के साधुओं के पास कभी-कभी आनेवालों में से कुछ भक्त उनसे जीव, बह्म, तुम, मैं आदि विषयों को लेकर तर्क करते हैं। ऐसी स्थिति में उनके सामने धर्मसंकट खड़ा हो जाता है। इस तरह की समस्या आ जाने पर आजकल के साधु स्लेट पर तर्क करनेवालों को दिखा देते है कि आजकल उनका मौनव्रत चल रहा है।


ढोंगी साधु मौनव्रत क्यों धारण करते हैं?

Locked Answer

જવાબ : ढोंगी साधु मौनव्रत इसलीए धारण करते है कि कभी-कभी कुछ लोग विभिन्‍न विषयों पर तर्क करने के लिए उनके पास आते हैं। वे साधुओं से अपने प्रश्नों के उत्तर की अपेक्षा करते हैं। ढोंगी साधु इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर से अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे अवसर पर ढोंगी साधुओं के समक्ष धर्मसंकट पैदा हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए ढोंगी साधु मौनव्रत धारण करने का बहाना बना लेते हैं। यह युक्ति अपनाने से ढोंगी साधुओं से कोई भी व्यक्ति तर्क करने की हिम्मत नहीं करता।


साधूपदेशकाव्य में काका हाथरसी ने किस पर व्यंग्य किया है?

Locked Answer

જવાબ : 'साधूपदेश' काव्य में काका 'हाथरसी' ने उन अनपढ़ और ढोंगी लोगों पर व्यंग्य किया है, जो अपने आपको साधु के रूप में पेश करते हैं और वास्तविक साधुओं की भौंडी नकल कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। इन लोगों को ज्ञानप्रद बातों से कुछ लेना-देना नहीं होता और वे ज्ञान की या परीक्षा की घड़ी आने पर मौनव्रत धारण करने का बहाना बना लेते हैं। ये बड़े-से-बड़ा पाप करने से भी नहीं डरते।


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