GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Hindi

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

कालिदास का प्राणीप्रेम लेखक की कौनसी कृतिसे लिया गया है ?

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જવાબ : आषाढ का एक दिन


दंतुलने किस आधार पर कालिदास के घर का अनुसरण किया ?

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જવાબ : हिरण के रक्त के बिन्दुओं के चिन्ह से


पध्य 'कालिदास का प्राणीप्रेम ' का साहित्य प्रकार क्‍या है ?

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જવાબ : नाटक


दन्तुल को खेद था कि उसने कालिदास के साथ ...

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જવાબ : अशिष्टता का व्यवहार किया था।


अंबिका रुष्ट थी, क्‍योंकि...

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જવાબ : पुत्री मल्लिका वर्षा में कालिदास के साथ थी।


यदि दन्तुल कालिदास के क्षेत्र का निवासी होता तो वह ...

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જવાબ : हरिणों का शिकार न करता।


हरिण-शावक को पाना कालिदास के लिए...

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જવાબ : संवेदना का प्रश्न था।


कालिदास किसे बाहोंमे लिये जा रहा था?

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જવાબ : हिरण का बच्चा


अम्बिकाने किस बातसे मना किया ?

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જવાબ : हिरण को तल्प और आस्तरण पर सोने देनेसे


दन्तुलने कालिदास पर कौनसा लांछन लगाया ?

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જવાબ : अपने बाणसे घायल हिरण चुरानेका


कालिदासने मल्लिका से हिरण के बच्चे के लिये कया मांगा ?

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જવાબ : दूध


हरिण-शावक इनमें से किसके बाणों से घायल हुआ था?

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જવાબ : दन्तुल


कालिदास हरिण-शावक के अंगों पर किसका लेप लगाते हैं?

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જવાબ : घृत


'मेरी वेशभूषा ही इस बात का परिचय देती है कि मैं यहाँ का निवासी नहीं हूँ।' यह वाक्य कौन किससे कहता है?

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જવાબ : दन्तुल कालिदास से


उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालिदास को किसके लिए जानता था?

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જવાબ : 'ऋतुसंहार' के लिए


हिरण को बाण किसने मारा था ?

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જવાબ : दन्तुलने


कालिदास दंतुलको अपराधी न मानने का क्‍या कारण बताता है ?

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જવાબ : वह बाहर से आया था


अम्बिका के मना करने पर हिरणको कौन ले जाता है ?

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જવાબ : कालिदास


उज्जयनी राजसभा का प्रत्येक व्यक्ति किसे जानता था ?

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જવાબ : कवि कालिदासको


आचार्य वररुचि कौनसे उदेश्य से उज्जयनी से जंगल आए थे ?

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જવાબ : कालिदास का सन्मान करने


उज्जयनी राज्य कालिदास को क्‍या देना चाहता था ?

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જવાબ : राजकवि का आसन


कवि कालिदास की हकीकत जानकर दतालीने क्या फैसला किया ?

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જવાબ : कालिदास से क्षमा मांगनेका


उज्जयनी राजसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालीदासको अपनी कौनसी कृति के लिये जानता था ?

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જવાબ : ऋतुसंहार


कालिदास कौन थे?

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જવાબ : कालिदास संस्कृत भाषा के महान साहित्यकार थे।


हरिण-शावक किसके बाणों से घायल हुआ था?

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જવાબ : हरिण-शावक दन्तुल के बाणों से घायल हुआ था।


कालिदास हरिण-शावक को कहाँ ले गये?

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જવાબ : कालिदास हरिण-शावक को मल्लिका के घर ले गये।


अंत में दन्तुल ने कालिदास को कैसे पहचाना?

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જવાબ : मल्लिका द्वारा परिचय पाकर दन्तुल ने कालिदास को पहचाना।


दन्तुल कालिदास तक कैसे पहुँचा?

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જવાબ : दन्तुल रक्तबिदुओं का अनुसरण करके कालिदास तक पहुँचा था।


उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालिदास को कैसे जानता था?

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જવાબ : उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति कालिदास को 'ऋतुसंहार' के कवि के कारण जानता था।


दन्तुल ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति क्‍यों कहा?

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જવાબ : हरिण-शावक दन्तुल के बाणों से घायल हुआ था इसलिए दन्तुल ने उसे अपनी संपत्ति कहा।


कालिदास का प्राणीप्रेमइस नाटक में किस के प्रति प्रगाढ़ प्रेम व्यक्त हुआ है?

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જવાબ : वन्य प्राणियों


एक बाण प्राण ले सकता है तो किस का कोमल स्पर्श प्राण दे भी सकता है?

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જવાબ : ऊँगलियों


कालिदास ने हरिण को क्या पिलाया?

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જવાબ : दूध


मल्लिका की मां को किसकी चिंता रहती है?

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જવાબ : अपवाद


अंबिका किस की माँ थी?

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જવાબ : मल्लिका


हरिण-शावक किस के बाणों से घायल हुआ?

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જવાબ : दन्तुल


कालिदास कोन सी भाषा के महाकवि थे?

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જવાબ : संस्कृत


माँ के रुष्ट होने के पीछे मल्लिका क्या अनुमान करती है?

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જવાબ : मल्लिका कालिदास के साथ बरसात में बाहर गई थी। इसलिए वह बुरी तरह भीगकर घर लोटी थी। मल्लिका अनुमान करती है कि उसकी माँ के रुष्ट होने का यही कारण है।


दन्तुल कौन था? वह मल्लिका के घर कैसे पहुँचा?

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જવાબ : दन्तुल उज्जयिनी राज्य का राजपुरुष था। उसके बाण से एक हरिण-शावक घायल हुआ था। घायल हरिण-शावक अपनी जान बचाने के लिए कालिदास की गोद में आ गया था। कालिदास उसे लेकर मल्लिका के घर आ गए थे। रास्ते में हरिण-शावक के टपकते खून को देखते हुए राजपुरुष दन्तुल अपने शिकार को खोजते हुए मल्लिका के घर पहुँचा था।


मल्लिका ने दन्तुल को हरिण-शावक के लिए हठ न करने के लिए क्‍यों कहा?

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જવાબ : दन्तुल कालिदास से घायल हरिण-शावक लेने पर अड़ा हुआ था। मल्लिका ने दन्तुल से कहा कि तुम्हारे लिए घायल हरिण-शावक को पाना अधिकार का प्रश्न हे, जबकि कालिदास के लिए उसे न देना संवेदना का प्रश्न है। अधिकार के प्रश्न से संवेदना का प्रश्न अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए मल्लिका ने दन्तुल को हरिण-शावक के लिए हठ न करने के लिए कहा।


कालिदास दन्तुल को अपराधी न मानने के ल्व्हि जब तर्क देते हैं?

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જવાબ : राजपुरुष दन्तुल ने जिस क्षेत्र में हरिण-शावक का आखेट किया था, उस क्षेत्र में हरिणों का आखेट करना मना था। राजपुरुष दन्तुल बाहर से आया था, इसलिए उसे यहाँ के नियम की जानकारी नहीं थी। कालिदास दन्तुल को हरिण-शावक का आखेट करने के लिए अपराधी न मानने के लिए यह तर्क देते हैं।


उज्जयिनी की राज्यसभा कवि कालिदास का सम्मान किस तरह करना चाहती है?

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જવાબ : उज्जयिनी की राज्यसभा का प्रत्येक व्यक्ति 'ऋतुसंहार' के लेखक कवि कालिदास को जानता है। सम्राट ने स्वयं 'ऋतुसंहार' पढ़ा है और उसकी प्रशंसा की है। इसलिए उज्जयिनी की राज्यसभा कवि कालिदास को राजकवि का सम्मान देकर उन्हें सम्मानित करना चाहती हे।


घायल हरिण-शावक को बचाने के लिए कालिदास ने क्या-क्या किया?

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જવાબ : राजपुरुष दन्तुल के बाण से घायल होकर हरिण-शावक अपनी जान बचाने के लिए कुलाँचें भरता हुआ कालिदास की गोद में आ गया था। तब कालिदास ने उसे अपनी गोद में समेट कर उसके घायल बदन को सहलाते हुए उसे तरह-तरह से सांत्वना दी थी - ठीक उसी तरह जेसे वे किसी घायल बच्चे को पुचकार कर धीरज बँधा रहे हो। मल्लिका के घर उन्होंने उसे दूध पिलाया, जिससे उसे राहत मिली। मल्लिका के घर राजपुरुष ने हरिण-शावक को अपनी संपत्ति बताते हुए कालिदास से उसे सौंप देने का हठ किया तो कालिदास ने स्पष्ट शब्दों में उसे जवाब दिया कि इस क्षेत्र में आखेट नहीं होता और यह हरिण-शावक पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। कालिदास अंत में राजपुरुष की परवाह नही करते और घायल हरिण-शावक को अपने साथ लेकर अपने घर जाने के लिए निकल पड़ते हैं। इस प्रकार कालिदास ने हरिण-शावक को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया।


कालिदास हरिण-शावक को क्‍यों बचाना चाहते थे?

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જવાબ : कालिदास एक संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके हृदय में प्राणियों के प्रति बहुत प्यार था। वे उस पार्वत्य भूमि के निवासी थे, जहाँ लोग पशु-पक्षियों को अपने मित्र मानते थे। कालिदास के क्षेत्र में हरिणों का आखेट अपराध माना जाता था। आहत हरिण-शावक को देखकर वे स्वयं आहत थे और उसे हर हालत में जीवित रखने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने राजपुरुष दन्तुल से स्पष्ट शब्दो में कह दिया था कि यह घायल हरिण-शावक उनकी पार्वत्य भूमि की संपत्ति हे। वह यह सोचकर भूल कर रहा है कि वे इसे उसे सोँप देंगे। इन पंक्तियों से प्राणियों के प्रति कालिदास के प्रगाढ़ प्रेम का पता चलता है। जिस व्यक्ति के मन में प्राणियों के प्रति इतना प्रेम हो, वह एक घायल हरिण-शावक की जान बचाना क्‍यों नहीं चाहेगा। मूक प्राणियों की रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। इसलिए कालिदास हरिण-शावक की जान बचाना चाहते थे।


हरिण-शावक के लिए कालिदास और दन्तुल के बीच में हुए संवाद को अपने शब्दों में लिखिए।

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જવાબ : कालिदास, राजपुरुष दन्तुल के बाण से आहत हरिण-शावक को अपनी बाहों में लेकर मल्लिका के घर आता हे। तभी हरिण-शावक के शरीर से टपकती हुई खून की बूँदों के सहारे राजपुरुष दन्तुल वहाँ पहुँचता है और कालिदास से हरिण-शावक की माँग करता है। इस बात को लेकर दोनों के बीच संवाद होता हे।

दन्तुल कालिदास से कहता है कि वे उसके बाण से आहत हरिण-शावक उठा लाए हैं। वह उसकी संपत्ति है। इसलिए वे उसकी संपत्ति लौटा दें। इसके जवाब में कालिदास कहते हैं कि जिस क्षेत्र में उसने हरिण-शावक पर बाण चलाया है, उस प्रदेश में हरिणों का आखेट नहीं होता। वह बाहर से आया है इसलिए उसे इस जुर्म के लिए अपराधी नहीं माना जा रहा है, यही क्‍या कम है ! दन्तुल फिर कहता है कि अपराध का निर्णय क्‍या उन जैसे ग्रामीण करेंगे? वह राजपुरुषों के लंबे अधिकार की धौंस जमाता हे और हरिण-शावक को अपनी संपत्ति बताते हुए दे देने के लिए कहता है। कालिदास कहते हैं कि हरिण-शावक पार्वत्य भूमि की संपत्ति हे। इसके बाद कालिदास घायल हरिण-शावक को लेकर अपने घर रवाना हो जाते हैं।


तुम्हारे लिए प्रश्न अधिकार का है, उनके लिए संवेदना का।''

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જવાબ : शिकारी और किसी की जान बचानेवाले व्यक्ति, दोनों में बहुत फर्क होता है। शिकारी को शिकार करके किसी के प्राण लेने में कोई फरक नहीं पडता, बल्कि वह इसे अपनी बहादुरी और मनोरंजन के रूप में देखता है। शिकारी शिकार करना अपना शौक मानता है और शिकार पर अपना अधिकार मानता है। पर संवेदनशील व्यक्ति का हृदय किसी घायल प्राणी को देखकर द्रवित हो उठता है। वह उसका प्राण बचाने के लिए अपनी जान लगा देता है। शिकारी प्राण लेने पर खुश होता है, जबकि संवेदनशील व्यक्ति किसी की जान बचाकर खुश होता है। यदि कोई किसी को प्राण दे नहीं सकता है, तो उसे किसी का प्राण लेने का भी अधिकार नहीं है।


यह हरिण-शावक इस पार्वत्य भूमि की संपत्ति है, राजपुरुष और इसी पार्वत्य भूमि के निवासी हम इसके सजातीय हैं।''

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જવાબ : पार्वत्य भूमि में मनुष्य और पशु-पक्षी में कोई अंतर नहीं है। दोनों प्राणधारी हैं ओर घायल होने पर दोनों को ही दर्द होता है। इसलिए पर्वतीय भूमि में मनुष्य और पक्षु-पक्षी में सजातीय रिश्ता है। इस भूमि में जेसे मनुष्य को मारना अपराध हे, ठीक वैसे ही पशु-पक्षियों को मारना भी अपराध है।

इस भूमि में अगर कोई व्यक्ति किसी पशु का शिकार कर उसे अपनी संपत्ति जताना चाहे, तो यहाँ के निवासियों को कदापि यह बर्दाश्त नहीं होता। इसीलिए कालिदास राजपुरुष दन्तुल से यह वाक्य कहते हैं। पार्वत्य भूमि के पशु-पक्षी की जान बचाने के लिए इस क्षेत्र के लोग अपनी जान लगा देते हैं। क्योंकि वे इन्हें अपने से अलग नहीं मानते।


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कालिदास का प्राणीप्रेम


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