GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Hindi

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

देवता और देवपति कहाँ से गुजर रहे थे?

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જવાબ : वन


इन्द्र के अनुसार कहाँ रहना तोते की मूर्खता थी?

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જવાબ : सूखे तरु पर


सूखे पेड़ पर तोते को देखकर किसे आश्चर्य हुआ?

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જવાબ : इन्द्र को


हे देवपति! यह पेड़ सारे वन की शोभा है। आप इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए। - यह वाक्य किसने कहा ?

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જવાબ : तोते ने


विषबुझा बाण किसने मारा?

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જવાબ : शिकारी ने


पेड़ की छाया कैसी थी?

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જવાબ : मोदमयी


कौन पेड़ को सच्चा साथी मानता था?

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જવાબ : तोता


यह सूखा पेड़ फिर से लहलहा उठे - यह वरदान किसने माँगा?

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જવાબ : तोते ने


इन्द्र को किस बात का अचरज हुआ ?

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જવાબ : तोता रो रहा था


वन से गुजरते हुए इन्द्रने क्या देखा ?

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જવાબ : अति भरी, सूखा पेड़


तोते ने किसको हरदम अपने सुख-दुख का साथी माना था ?

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જવાબ : वही सूखे पेड़ को जीस पर वह रहता था


निकट के निर्जन वन से कौन गुजर रहा था?

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જવાબ : इन्द्र


तोते को उस सूखे पेड़ की डाली-डाली क्यों प्यारी था ?

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જવાબ : वह तोता उसी पेड़ पर जन्मा था


पेड़ किस कारण से सुख रहा था ?

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જવાબ : विष के कारण


तोता और इन्द्र कविता में कौनसी पुण्यभूमि की महिमा की गई है ?

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જવાબ : काशी


सूखे पेड़ के खोखले में कौन था ?

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જવાબ : तोता


कुछ दिन पहले वन में कौन आया था ?

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જવાબ : एक शिकारी


किसने पेड़ पर आफत ढा दी थी ?

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જવાબ : शिकारी के विष से बूज़े बाण ने


तोता सूखे पेड़ को छोड़कर क्‍यों नहीं जाना चाहता था ?

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જવાબ : वह पेड़ के दुख में हाथ बटाना चाहता था


तोते ने इन्द्र से क्या वर मांगा ?

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જવાબ : सूखे पेड़ को हरा भरा कर देने का


देवताओं के साथ कौन न से गुजर रहा था?

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જવાબ : देवपति


इन्द्र के अनुसार सूखे तरु पर रहना तोते की क्या थी?

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જવાબ : मूर्खता


पेड़ की............. छाया में तोते ने होश सँभाला था।

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જવાબ : मोदमयी


तोता उस पेड़ को अपना सच्चा क्या मानता था?

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જવાબ : साथी


इन्द्र ने खोखले वृक्ष में किस को देखा?

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જવાબ : तोते


पेड़ पर किस ने आफत ढा दी थी?

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જવાબ : शिकारी


शिकारी का बाण कैसा था?

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જવાબ : विषबुजा


इन्द्र किस को देखकर दंग रह गए?

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જવાબ : सूखे पेड़


सूखे तरुवर पर तोता कैसा बनकर बेठा था?

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જવાબ : अनजान ओर अनाड़ी


पेड़ पर विषबुझा बाण किसने चलाया?

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જવાબ : पेड़ पर विषबुझा बाण एक शिकारी ने चलाया था।


तोता कहाँ रहता था?

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જવાબ : तोता प्रेड़ पर रहता था।


तोते ने क्‍या वर माँगा?

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જવાબ : तोते ने सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा करने का वर माँगा।


इन्द्र कहाँ से गुजर रहे थे?

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જવાબ : इन्द्र काशी के समीप एक निर्जन वन से होकर गुजर रहे थे।


इन्द्र ने खोखले वृक्ष में क्या देखा?

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જવાબ : इन्द्र ने खोखले वृक्ष में एक सुंदर तोते को देखा।


पेड़ क्‍यों सूख गया?

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જવાબ : एक शिकारी द्वारा विषबुझा बाण चलाने से पेड़ सूख गया।


पेड़ पर किसने आफत ढ़ा दी थी?

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જવાબ : शिकारी के विषबुझे बाण ने पेड़ पर आफत ढ़ा दी थी।


तोते के जन्म के समय पेड़ कैसा था?

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જવાબ : तोते के जन्म के समय पेड़ हरा-भरा, अपनी किस्म का अलग, सबसे अच्छा, सबसे सुंदर और मन को मोह लेनेवाला था।


सूखे पेड़ पर तोते को देख इन्द्र को क्यों आश्चर्य हुआ?

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જવાબ : हरे-भरे छायादार वृक्षवाले विशाल ओर सुंदर वन में एक पक्षी हरे-भरे वृक्ष पर बसना चाहेगा। फिर भी तोता उन हरे-भरे पेड़ों पर न रहकर एक सूखे पेड़ के खोखले में रहता था। यह देखकर इन्द्र को आश्चर्य हुआ।


तोते ने सूखे वृक्ष पर रहने का कारण क्‍या बतलाया? क्या आप उसे ठीक समझते हो?

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જવાબ : तोते के अनुसार जन्म से लेकर अब तक इस हरे-भरे पेड़ ने सुख-दु:ख में उसका साथ दिया। आज उसके बुरे दिनों में उसे छोड़कर तोता कहीं नहीं जाना चाहता। मेरे मतानुसार तोते की बात सही है। साथी की पहचान बुरे दिनों में होती है। तोतेने सच्चे साथी का फर्ज निभाया।


तोते के उत्तर का इन्द्रदेव पर क्‍या प्रभाव पड़ा? उसका फल क्या हुआ?

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જવાબ : तोते ने इन्द्रदेव से कहा कि इस सूखे पेड़ से उसका बचपन का रिश्ता रहा हे ओर उसका अंत भी उसी के साथ होगा। यह सुनकर इन्द्रदेव द्रवित हो गए। उन्होंने उस पेड़ को नवजीवन प्रदान कर दिया और वह पहले की तरह हरा-भरा हो गया।


तोते ने उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के क्या-क्या कारण बतलाए हैं?

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જવાબ : तोते का उस पेड़ से बहुत लगाव था। पहले वह पेड़ बहुत हरा-भरा और सुंदर था। तोते का जन्म उसी पेड़ पर हुआ था। उसकी डाली-डाली उसे प्राणों से भी प्यारी थी। उसने उस पेड़ की आनंददायक छाया में होश सँभाला था। उसे बोलने, फुदकने और उड़ने की शिक्षा इसी पेड़ पर मिली थी। बचपन से लेकर अब तक उसने तोते को शीतल छाया दी थी। तोते ने पेड़ को अपने सुख-दुःख का सच्चा साथी पाया था। उसे इसी पेड़ पर सुख, संतोष और शांति प्राप्त होती है। तोते उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के उपर्युक्त कारण बतलाए है।


तोता और इन्द्र का संवाद अपने शब्दों में लिखिए :

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જવાબ : अरे भाई तोते! इस वन में एक-से-एक हरे-भरे पेड़ भरे पड़े हैं। आश्चर्य है, तुम इस सूखे पेड़ के इस खोखले से अपरिचित जैसे और अनाड़ियों की भाँति पड़े हुए हो। यह मूर्खता नही तो और क्‍या है?

तोता : महाराज! यह पेड़ आज सूख गया है, पर पहले यह बहुत हरा-भरा और सुंदर था। पूरे वन में यह अपने ढंग का अकेला ही सबसे अच्छा पेड़ था। यह इस वन की शोभा था। विभिन्‍न प्रकार की चिडियाँ, कोयल, तोते, मैना आदि सबको यह पेड़ बहुत प्यारा था। मेरा जन्म इसी हरे-भरे पेड़ पर हुआ था। इसलिए मुझे इसकी डाली-डाली बहुत प्यारी हे। इसी की छाया में मैंने अपना जीवन आरंभ किया था। इसी पर मैंने बोलना, चहकना और उड़ना सीखा था। इसने मुझे बचपन से लेकर अब तक शीतल छाया दी है। यह मेरे सुख-दुःख का सच्चा साथी रहा हे।

      लेकिन आज यह पेड़ सूख रहा है। इसका एक कारण है। एक बार वन में एक शिकारी आया था। उसने अपने विष से बुझा बाण इस पेड़ पर चला दिया था। तब से यह पेड़ विष के प्रभाव से दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा है। यह पेड़ मेरा बचपन का साथी है। इसी पेड़ पर रहकर मुझे सुख, संतोष ओर शांति मिलती है। इसे छोड़कर मैं कहाँ जा सकता हूँ? लगता है इसके साथ-साथ मेरा भी अंतिम क्षण होगा।

इन्द्र: ओह! तो यह बात है! तोते, मैं तुमसे प्रसन्‍न हूँ। अब तेरा जीवन सफल हो जाएगा। तुम मुझसे जो भी चाहो, माँग लो, मैं इसी क्षण उसे पूरा कर दुँगा।

तोता : हे देवपति! यह पेड़ सारे वन की शोभा है। आप इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए।

इन्द्र : एवमस्तु !


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तोता और इन्द्र


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