GSEB Solutions for ધોરણ ૧૦ Hindi

GSEB std 10 science solution for Gujarati check Subject Chapters Wise::

बिस्मिल की माँ ने क्‍या पढ़ना शुरू किया?

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જવાબ : देवनागरी


बिस्मिल के लिए देववाणी क्‍या थी?

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જવાબ : माँ का उपदेश


वकील साहब ने बिस्मिल को किनके नाम के दस्तखत करने कहा ?

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જવાબ : पिताजी के


रामप्रसादजी की माताजी कितने साल की उम्र में विवाह कर शाहजहांपुर आई थी?

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જવાબ : ग्यारह


रामप्रसादजी की माताजी को किसने गृहकार्य की शिक्षा दी ?

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જવાબ : उनकी दादाजी की बहनने


रामप्रसादजी को क्या इच्छा थी ?

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જવાબ : लखनऊ कांग्रेस में जाने की


रामप्रसादजी की लखनऊ कांग्रेस में जाने की इच्छा का विरोध किसने किया था?

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જવાબ : दादीजी और पिताजीने


सेवा समिति का आरंभ कहाँ हुआ था ?

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જવાબ : शाहजहांपुर में


रामप्रसादजी को खर्च किसने दे दिया ?

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જવાબ : उनकी माताजी ने


किस बातने रामप्रसाद जी के जीवन में द्रढता उत्पन्न की थी ?

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જવાબ : उनकी माताजी के प्रोत्साहन और सदव्यवहारने


रामप्रसादजी अपने जीवन और साहस का श्रेय किसको देतें हैं ?

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જવાબ : माताजी और गुरुदेव को


वकील साहबने रामप्रसादजी को क्‍या करने को कहा ?

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જવાબ : वकालतनामे पर हस्ताक्षर करने को


रामप्रसादजी के पिताजी और दादाजी किस बात का अनुरोध करते थे ?

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જવાબ : उनके विवाह का


गुरु गोबिन्दर्सिह जी की धर्मपत्नी की अपने पुत्रों की मृत्यु की खबर सुनकर क्‍या हालत हुई थी ?

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જવાબ : वह बहुत प्रसन्न हुई थी14


माताजी का रामप्रसादजी के लिए सबसे बड़ा आदेश क्‍या था ?

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જવાબ : किसी की प्राणहानी न हो


गुरु गोबिन्द्सिह जी की धर्मपत्नी ने जब अपने पुत्रों की बलिदान पर क्या किया था?

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જવાબ : मिठार्ई बांटी थीं


रामप्रसादजी अपनी माता से क्‍या वर मांगतें हें ?

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જવાબ : अंतिम समयमें मेरा मन विचलित न हो


रामप्रसादजी अपना शरीर कैसे त्यागना चाहते है ?

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જવાબ : अपनी माताजी के चरणों को प्रणाम करके परमात्मा का स्मरण करते हुए


रामप्रसाद बिस्मिल ने वकालतनामे पर पिताजी के हस्ताक्षर नहीं किए, क्‍योंकि ...

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જવાબ : उनकी दृष्टि से वह धर्मविरुद्ध था।


बिस्मिल को माताजी का सबसे बड़ा आदेश था कि ..

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જવાબ : उनके द्वारा किसी की प्राणहानि न हो।


रामप्रसाद बिस्मिल को इस बात का दुःख था कि उन्हें

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જવાબ : अपनी माँ की सेवा का अवसर नहीं मिलेगा।


सेवा-समिति का आरंभ किस जगह में हुआ?

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જવાબ : शाहजहाँपुर


रामप्रसाद बिस्मिल के गुरु का नाम क्या था?

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જવાબ : श्री सोमदेव


बिस्मिल ने अपनी माँ की तुलना किस की माता से की हैं?

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જવાબ : मेजिनी


पुत्रों के बलिदान पर गुरु गोविदसिंह की पत्नी ने क्या बाँटी थी?

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જવાબ : मिठाई


बिस्मिल की माँ ने लिखना-पढ़ना किस से सीखा थ?

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જવાબ : सखी- सहेलियों


बिस्मिल किस वस्तु का स्वीकार नहीं करते थे?

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જવાબ : धर्मविरुद्ध


बिस्मिल माँ के चरणों को प्रणाम करके तथा किस का स्मरण करके शरीर त्याग करना चाहते थे?

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જવાબ : परमात्मा


बिस्मिल की माँ किस पुस्तकों का अध्ययन करने लगी थी?

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જવાબ : देवनागरी


बिस्मिल की माताजी का सबसे बड़ा आदेश क्‍या था?

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જવાબ : बिस्मिल की माताजी का सबसे बड़ा आदेश था कि बिस्मिल के द्वारा किसी की प्राणहानि न हो।


बिस्मिल की एकमात्र इच्छा क्‍या थी?

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જવાબ : बिस्मिल की एकमात्र इच्छा एक बार श्रद्धापूर्वक अपनी माँ के चरणों की सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाने की थी।


बिस्मिल ने वकालतनामे में हस्ताक्षर क्‍यों नहीं किए ?

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જવાબ : वकील साहब ने बिस्मिल को वकालतनामे में उनके पिताजी के हस्ताक्षर करने के लिए कहा तो यह काम उन्हें धर्मविरुद्ध लगा। इसलिए उन्होंने वकालतनामे में दस्तखत नहीं किए।


बिस्मिल की माताजी के विचार पहले की अपेक्षा अधिक उदार कब हो गए थे?

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જવાબ : बिस्मिल की माताजी ने जब पढ़ना-लिखना सीख लिया था और वे देवनागरी पुस्तकें पढ़ने लगीं, तब उनके विचार पहले की अपेक्षा अधिक उदार हो गए।


बिस्मिल किसकी दया से देशसेवा में संलग्न हो सके?

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જવાબ : बिस्मिल अपनी माताजी की दया से देशसेवा में संलग्न हो सके।


बिस्मिल को किस बात का विश्वास था?

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જવાબ : बिस्मिल को विश्वास था कि इतिहास में उनकी माँ के नाम का उल्लेख होगा।


बिस्मिल की माँ ने क्‍या पढ़ना शुरू किया?

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જવાબ : बिस्मिल की माँ ने देवनागरी पढ़ना शुरू किया।


धर्म की रक्षा करते हुए किसने प्राण त्यागे?

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જવાબ : धर्म की रक्षा करते हुए गुरु गोविदसिह के पुत्रों ने प्राण त्यागे।


बिस्मिल को अपनी एकमात्र इच्छा क्‍यों पूरी होती दिखाई नहीं दे रही थी?

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જવાબ : बिस्मिल की एकमात्र इच्छा थी एक बार अपनी माँ के चरणों की अश्रद्धापूर्वकत सेवा करके अपने जीवन को सफल बनाना। पर उनकी यह इच्छा पूरी होती नहीं दिखाई दे रही थी, क्योंकि उन्हें फाँसी की सजा हुई थी और वे जेल में थे।


अंतिम समय के लिए बिस्मिल अपनी माँ से क्‍या वर माँगते हैं?

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જવાબ : अंतिम समय के लिए बिस्मिल अपनी माँ से यह वरदान माँगते हैं कि वे उन्हें ऐसा वर दे कि अंतिम समय भी उनका (बिस्मिल का) हृदय किसी प्रकार विचलित न हो और वे माँ के चरण-कमलों को प्रणाम कर परमात्मा का स्मरण करते हुए शरीर त्याग कर सकें।


गुरु गोविंदसिंह की पतली ने अपने पुत्रों के बलिदान पर मिठाई क्‍यों बाँटी ?

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જવાબ : गुरु गोविदस्सिहजी के पुत्रों ने गुरु के नाम पर धर्म की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्यागे थे। जब गुरु गोविंद सिहजी की पत्नी ने यह खबर सुनी तो उनका सिर गर्व से ऊँचा हो गया और उन्होंने इस खुशी में लोगों में मिठाई बाँटी।


बिस्मिल की माँ ने शिक्षा प्राप्त करने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए ?

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જવાબ : बिस्मिल की माँ पहले पढ़ी-लिखी नहीं थी। बिस्मिल के जन्म के पाँच-सात साल बाद उन्होंने हिन्दी पढ़ना शुरू किया था। मुहल्ले की अपने घर पर आनेवाली शिक्षित सखी-सहेलियों से वे अक्षर-बोध करती थीं। घर के काम-काज से जो समय मिल जाता, उसी में उनका पंढ़ना-लिखना होता था। इस तरह अपने परिश्रम के बल पर थोड़े दिनों में ही वे देवनागरी पुस्तकों का अध्ययन करने लगीं थीं।


बिस्मिल की आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में उनकी माँ का क्‍या योगदान रहा?

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જવાબ : बिस्मिल आरंभ में बड़े धृष्ट बालक थे। पिता और दादी से उनकी कभी नहीं बनती थी। उनमें संस्कार भरे तो उनकी माँ ने। माँ के उपदेश बिस्मिल के लिए देववाणी के समान थे। माँ ने ही उनमें दया और सेवा की भावना जगाई। माँ के प्रोत्साहन से ही बिस्मिल में धर्म के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। कभी स्नेह से और कभी हल्की ताड़ना से माँ से उनमें तरह-तरह के सुधार किए। माँ ने पुत्र को आर्यसमाज में प्रवेश करने का समर्थन किया। इतना ही नहीं समाजसेवा की समितियों में भी पुत्र को कार्य करने की प्रेरणा दी। लखनऊ कांग्रेस में शामिल होने के लिए माँ ने बिस्मिल को खर्च दिया। इस प्रकार यह कहने में जरा भी अतिशयोक्ति नहीं कि बिस्मिल को बिस्मिल उनकी माँ ने बनाया। माँ के कारण ही बिस्मिल की आत्मिक, धार्मिक और सामाजिक उन्नति में गणना हो सकी। द |


बिस्मिल की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

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જવાબ : श्री रामप्रसाद बिस्मिल में आरंभ से ही कुछ असाधारण गुण थे। वे सत्य के प्रेमी थे। इस गुण ने उन्हें दृढ़ सिद्धांतादी बना दिया था। जो वस्तु धर्मविरुद्ध हो, उसे वे कभी स्वीकार न करते थे। मुकदमा खारिज हो जाने की उन्होंने परवाह नहीं की, पर वकालतनामे पर पिता के हस्ताक्षर नहीं किए। वे आर्यसमाज की विचारधारा को मानते थे और अपनी मां और गुरु सोमदेव के सिवाय किसी को महत्व नही देते थे। साधारण मनुष्यों की भाँति संसार-चक्र में फंसकर जीना उन्हें पसंद न था। उन्हें किसी भी प्रकार के भोग-विलास तथा ऐश्वर्य की इच्छा नहीं थी। उन्हें देशसेवा की लगन थी। जिस तरह उन्हें अपनी जन्मदत्री माँ से अगाध प्रेम था, उसी तरह वे भारतमार्तो के चरणों की भी सेवा करना चाहते थे। अंत में भारतमाता की सेवा करने में उन्होंने अपने प्राणों की बलि दे दी।


आपको बिस्मिल की माता के किन गुणों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया ओर क्‍यों?

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જવાબ : बिस्मिल की माँ विवाह के समय ग्यारह वर्ष की एक अनपढ़ कन्या थीं। समय बीतने पर घर-गृहस्थी का भार सुचारु रूप से वहन करते हुए उनमें पढ़ने का स्वतः शौक जागा। सखी-सहेलियों से अक्षरज्ञान पाकर श्रम और अभ्यास करके कुछ ही समय में देवनागरी पुस्तकें पढ़ने लगीं। अध्ययन से उनमें तेजस्वी विचार उत्पन्न हुए। देश और समाज के प्रति उनमें सोच उत्पन्न हुई। माँ ने बड़े प्रेम से और दृढ़ता से पुत्र के जीवन का सुधार किया। माँ के कारण ही बिस्मिल देशसेवा में संलग्न हो सका। माँ ने ही पुत्र बिस्मिल के धार्मिक जीवन में भी सहायता की। पुत्र को आर्यसमाज में जाने का समर्थन किया। माँ के कारण ही बिस्मिल में साहस का भाव जागा। यह माँ की प्रभावशाली शिक्षा का ही परिणाम था कि बिस्मिल न केवल अपनी जन्मदात्री माँ का बल्कि भारतमाता का महान पुत्र बन सका।

सचमुच, बिस्मिल की माँ एक आदर्श माँ थी। उनके ये दुर्लभ गुण हमें प्रभावित किए बिना नहीं रहते।


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