જવાબ : कम्प्यूटर विज्ञान
જવાબ : टेल्को
જવાબ : पुना
જવાબ : एफ. एम. रेडियो
જવાબ : महिला-पुरुष का
જવાબ : इन्फोसिस
જવાબ : सुधाजी पुरुष सहपाठियों में अकेली लड़की थी
જવાબ : इंजीनियर
જવાબ : बेंगलुरु
જવાબ : पूना
જવાબ : जे. आर. डी. टाटा
જવાબ : टेल्को
જવાબ : कंपनीने सूधाजीको साक्षात्कार के लिए बुलाया
જવાબ : जे. आर. डी. टाटा को पोस्टकार्ड लिखा
જવાબ : महिला उमेदवार को आवेदन न भेजने को कहा था
જવાબ : स्कूलोमें एक -एक कंप्यूटर और लाइब्रेरीकी योजना बनाई
જવાબ : तेरह
જવાબ : स्त्री-पुरुष का
જવાબ : हमारा मार्ग कठिन अवश्य है किन्तु चलना जरूरी है
જવાબ : कांची
જવાબ : कंप्यूटर विज्ञान
જવાબ : 25%
જવાબ : 1996
જવાબ : सूखापीढ़ित क्षेत्रमें राहतकार्य करवाये
જવાબ : एफ. एम. रेडियो
જવાબ : नारायणमूर्ति से
જવાબ : इन्फोसिस फाउन्डेशन ने
જવાબ : ऑटोमोबाइल
જવાબ : उनका मार्ग कठिन अवश्य हे कितु उस पर उन्हें चलना जरूरी है।
જવાબ : आप जैसी मेघावी लड़कियों को अनुसंधान-शालाओं में जाकर कार्य करना चाहिए।
જવાબ : वे विदेश से स्नाकोत्तर परीक्षा के बाद रिसर्च की डिग्री के लिए छात्रवृत्ति मिलने की पेशकश हो चुकी थी।
જવાબ : पची नहीं।
જવાબ : हमें कहीं से तो शुरुआत करनी होगी।
જવાબ : गुलमहोर
જવાબ : श्री जे. आर. डी. टाटा
જવાબ : समाज- सुधार
જવાબ : टेल्को
જવાબ : पूना
જવાબ : सुधामूर्ति
જવાબ : एफ. एम. रेडियो
જવાબ : नारायणमूर्ति
જવાબ : इंजीनियर
જવાબ : टेल्को कंपनी का विज्ञापन इंजीनियर के पद के लिए था।
જવાબ : विदेश जाकर सुधा कम्प्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में पढ़ाई कहती थी।
જવાબ : विज्ञापन की अंतिम पंक्ति पढ़कर सुधा के मन में विचार आया कि यह तो स्त्री-पुरुष के बीच असमानता की बात है। इस भेदभाव को सहना उसके बस की बात नहीं हे, वह इसका डटकर विरोध करेगी।
જવાબ : वृद्ध सज्जन ने स्नेहमयी वाणी में साक्षात्कार के समय सुधा से कहा कि यहाँ फेक्टरी में मुख्य कार्य-स्थल पर किसी महिला कि नियुक्ति नहीं की जाती, अतः आपको अनुसंधान-शालाओं में जाकर करना चाहिए।
જવાબ : सुधा कुलकर्णी ने नारायणमूर्ति से शादी की।
જવાબ : इन्फोसिस फाउंड़ेशन ने कर्णाटक राज्य के सभी सरकारी स्कुलों में एक-एक कम्प्यूटर की योजना बनाई और उसे कार्यरूप दिया।
જવાબ : सुधामूर्ति महिलाओं की सफलता पर कह उठी कि उनका मार्ग कठिन अवश्य हैं किंतु उस पर उन्हें चलना जरूरी है।
જવાબ : टेल्को कंपनी ने सुधा को तार के द्वारा संदेश भेजा कि कंपनी के खर्चे पर पुणे शहर में साक्षात्कार के लिए उपस्थित हों।
જવાબ : सुधा ने दृढ़ता से कंपनी के बुजुर्ग सज्जन से कहा कि महिलाओं की आपकी कंपनी में नियुक्ति के लिए कहीं से तो शुरुआत करनी होगी अन्यथा आपकी फैक्टरी में कभी कोई महिला काम नहीं कर पाएगी।
જવાબ : टेल्को कंपनी में इंजीनियर के पद पर नियुक्त प्रथम महिला सुधा कुलकर्णी थी।
જવાબ : सुधामूर्ति ने टेल्को कंपनी से इसलिए त्यागपत्र दिया क्योंकि उन्होंने बैंग्लूरू में अपने पति श्री नारायणमूर्ति के साथ इन्फ़ोसिस कंपनी खोली।
જવાબ : सुधामूर्ति ने बेल्लारी, बीजापुर, हुबली आदी के अस्पतालों में उच्च तकनीकी चिकित्सा उपकरण उपलब्ध करवाए।
જવાબ : विज्ञापन प्रसिद्ध ऑटोमोबाइल कंपनी टेल्को (टाटा) को योग्य और परिश्रमी इंजीनियरों की आवश्यकता के बारे में था। उसमे अंतिम पंक्ति में छोटे-छोटे अक्षरों में लिखा था-'महिला उम्मीदवार आवेदन न भेजें।' टेल्को के विज्ञापन में यह चौंकानेवाली बात थी।
જવાબ : सुधा ने विज्ञापन में छोटे-छोटे अक्षरों में 'महिला उम्मीदवार आवेदन न भेजें' वाक्य पढ़ा, तो यह बात उन्हें पची नहीं। उन्होंने निश्चय किया कि वे टेल्को कंपनी के सर्वोच्च अधिकारी को सूचित करेंगी कि उनकी कंपनी महिलाओं को इस प्रकार का अन्याय कर रही है।
જવાબ : सुधा और नारायणमूर्ति ने इन्फोसिस फाउंडेशन द्वारा सामाजिक विकास, समाजसुधार तथा राहत कार्य के अनेक कार्य किये उन्होंने सरकारी स्कूलों में एक-एक कम्प्यूटर और लाइब्रेरी योजना को कार्यरूप दिया। अनेक अस्पतालों को चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराए अनेक शहरों में चिकित्सा सहायता दी और राहत कार्य करवाए। गाँवों में कम्प्यूटर वितश्ति किए, स्कूली इमारतें बनवाईं तथा विधार्थियो को छात्रवृत्तियाँ दीं। |
જવાબ : सुधामूर्ति को उनके कार्यों के लिए अनेक पुरस्कार दिए गए। कर्नाटक सरकार तथा अन्य संस्थाओं द्वारा सुधा को कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार, ओजस्विनी पुरस्कार, मिलेनियम महिला शिरोमणि पुरस्कार, वुमन ऑफ द ईयर (एफ. एम. रेडियो द्वारा) तथा राजलक्ष्मी आदि पुरस्कार दिए गए।
જવાબ : सुधा ने जे. आर. डी. टाटा को पत्र में संबोधित करते हुए लिखा कि आपने भारत में लोहा - इस्पात, रासायनिक पदार्थ, कपडा मशीनों के बड़े-बड़े उद्योग लगाए हुए हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना में बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया है। सौभाग्य से मैं उसी संस्थान में पढ़ रही हूँ। मैं हैरान हूँ कि टेल्को जेसी कंपनी स्त्री-पुरुष के बीच ऐसा भेदभाव कैसे कर सकती है।
જવાબ : साक्षात्कार में सुधा को काफी तकनीकी प्रश्न पूछे गए थे और सुधाने उनके सही-सही उत्तर दिए थे। पर एक बुजुर्ग सज्जन ने कहा कि यहाँ फैक्टरी में मुख्य कार्य-स्थल पर महिलाओं की नियुक्ति नहीं होती। उनका उत्तर सुनकर सुधा ने दृढ़तापूर्वक कहा कि आपको कहीं-न-कहीं से तो शुरुआत करनी होगी, वरना आपकी फैक्टरी में कभी भी कोई महिला काम नहीं कर पाएगी ओर सुधा को उस कंपनी में इंजीनियर के पद पर नियुक्त कर दिया गया।
જવાબ : आज की नारी प्राचीन काल की नारी से काफी आगे है। प्राचीन काल में महिलाओं के लिए विभिन्न कारणों से शिक्षा और विकास के अवसर उपलब्ध नहीं थे। वह समय पुरुषप्रधान था। तब महिलाओं के लिए बहुत कम क्षेत्र उपलब्ध थे। इसलिए लोगों की धारणा बन गई थी कि महिलाएँ कुछ निश्चित कार्य ही कर सकती हैं। आज महिलाओं के लिए शिक्षा, तकनीक, राजनीति, व्यवसाय, विज्ञान आदि हर क्षेत्र खुले हैं। प्रत्येक क्षेत्र में महिलाएँ पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। वे कार्यालयों में नियुक्ति से लेकर शिक्षिका, वैज्ञानिक, व्यवस्थापिका, इंजीनियर, नेता आदि सभी रूपों में अपना महत्व सिद्ध कर चुकी हैं। इसलिए सुधा के स्थान पर यदि मैं होता, तो किसी महिला संगठन से संपर्क कर किसी चैनल पर बड़े पैमाने पर डिबेट आयोजित करता, ताकि देश की सभी शिक्षित युवतियों को अपने साथ होनेवाले भेदभाव की जानकारी होती और इस प्रकार के नियोक्ताओं की आँखें खुल जातीं।
જવાબ : सुधामूर्ति एक साहसी ओर दृढ़ संकल्पवाली महिला हैं। वे समाज विकास तथा समाजसुधार के प्रति समर्पित हैं। महिलाओं के प्रति अन्याय उन्हें सहन नहीं होता। टेल्को (टाटा) की ओर से इंजीनियरों की आवश्यकतावाले विज्ञापन में महिलाओं के लिए आवेदन न करनेवाले वाक्य के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई और टेल्को में इंजीनियर के पद पर पहली महिला के रूप में उनकी नियुक्ति हुई। इसके बाद उन्होंने अपने पति नारायण मूर्ति के साथ इन्फोसिस कंपनी की स्थापना की। वे इन्फोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन बनीं और इसके माध्यम से उन्होंने समाज विकास, लेखन, समाजसुधार, शिक्षा, चिकित्सा, गरीब छात्रों की सहायता, स्कूलों की इमारतों का निर्माण जैसे अनेक कार्य किए। उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हे। इस प्रकार सुधामूर्ति महिलाओं के लिए प्रेरणामूर्ति बन गई हैं।
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