જવાબ : अपनी पोल खुल न जाए इसलिए मौन रहेंगे।
જવાબ : हाथ में गोमुखी लेकर ईश्वर स्मरण करना
જવાબ : सीप जैसी
જવાબ : मौन व्रत ले लेतें हैं
જવાબ : भीतर से मीठी छूरी चलाते है
જવાબ : पपीता तोड़कर खाने को
જવાબ : कवि कौनसा भय छोडने को कहते हैं ?
જવાબ : शीघ्र मौन व्रत ले लेने से
જવાબ : दीप जैसी
જવાબ : नगर से बाहर बगीचे में
જવાબ : ढोंगी धूर्त बाबाओं की लीला का
જવાબ : फल की इच्छा
જવાબ : काशी पहुँच कर फोड़ देने को
જવાબ : दिव्य और चमकता
જવાબ : नम्र
જવાબ : माला
જવાબ : लोगों को यह लगे कि आप ईश्वर के नाम, का जाप करते रहते हैं।
જવાબ : ऊपरी दिखावा करना जरूरी है।
જવાબ : जिससे आपका सिर सिप की तरह चमकता रहे।
જવાબ : उससे डरकर भयभीत न हों।
જવાબ : गोमुखी
જવાબ : नम्र
જવાબ : दीप
જવાબ : पोल
જવાબ : मौन-व्रत
જવાબ : काशी
જવાબ : मुख में राम बगल में छुरी
જવાબ : बगीचे
જવાબ : अनपढ
જવાબ : दंभी
જવાબ : दिखावा करते हुए साधु हाथ में गोमुखी लेकर माला फेरता रहता है और ऊपर से विनम्र बना रहता है और अंदर से छल-कपट करने से नहीं चूकता।
જવાબ : साधु का शरीर दिव्य और चमकता हुआ है तथा उसका सिर घुटा हुआ और सीप की तरह चिकना है।
જવાબ : दंभी साधुओं को इस बात का भय सताता है कि यदि कोई तर्क करने के लिए आ जाए और वे उसका उचित जवाब न दे पाएँ, तो उनकी पोल न खुल जाए।
જવાબ : साधु इसलिए मौन धारण करते हैं, ताकि यदि कोई उनसे कोई गूढ़ प्रश्न पूछे, तो उसका उत्तर देने से वे बच सकें। इस युक्ति से उनका धर्मसंक्ट कट जाता है।
જવાબ : साधु उपदेश देने के लिए झोंपड़ी शहर से दूर बगीचे में बनाते हैं।
જવાબ : ढोंगी साधु भक्तजनों को उपदेश देते हैं कि वे अपने हाथ में गोमुखी लेकर माला फिराने का ढोंग करते रहें। ऊपर से विनम्र और सज्जन दिखने का ढोंग करते रहें, पर अंदर से छल-कपट करने से न चूकें। शहर से दूर झोंपड़ी बनाकर निवास करें और सिर मुँड़ा कर, चंदन आदि से श्रृंगार करते रहें। मौनव्रत धारण करें, फल की इच्छा न करें, नर्क की परवाह न करें और खूब पाप करें।
જવાબ : आजकल के साधुओं के पास कभी-कभी आनेवालों में से कुछ भक्त उनसे जीव, बह्म, तुम, मैं आदि विषयों को लेकर तर्क करते हैं। ऐसी स्थिति में उनके सामने धर्मसंकट खड़ा हो जाता है। इस तरह की समस्या आ जाने पर आजकल के साधु स्लेट पर तर्क करनेवालों को दिखा देते है कि आजकल उनका मौनव्रत चल रहा है।
જવાબ : ढोंगी साधु मौनव्रत इसलीए धारण करते है कि कभी-कभी कुछ लोग विभिन्न विषयों पर तर्क करने के लिए उनके पास आते हैं। वे साधुओं से अपने प्रश्नों के उत्तर की अपेक्षा करते हैं। ढोंगी साधु इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर से अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे अवसर पर ढोंगी साधुओं के समक्ष धर्मसंकट पैदा हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए ढोंगी साधु मौनव्रत धारण करने का बहाना बना लेते हैं। यह युक्ति अपनाने से ढोंगी साधुओं से कोई भी व्यक्ति तर्क करने की हिम्मत नहीं करता।
જવાબ : 'साधूपदेश' काव्य में काका 'हाथरसी' ने उन अनपढ़ और ढोंगी लोगों पर व्यंग्य किया है, जो अपने आपको साधु के रूप में पेश करते हैं और वास्तविक साधुओं की भौंडी नकल कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। इन लोगों को ज्ञानप्रद बातों से कुछ लेना-देना नहीं होता और वे ज्ञान की या परीक्षा की घड़ी आने पर मौनव्रत धारण करने का बहाना बना लेते हैं। ये बड़े-से-बड़ा पाप करने से भी नहीं डरते।
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