જવાબ : अविनाश
જવાબ : रमेश
જવાબ : बिना बोले ताला लगाने लगता है
જવાબ : प्रसादजीकी कविता समज़ानेके
જવાબ : अपशब्दों के उपयोग पर
જવાબ : अविनाश ने
જવાબ : चौकीदार को
જવાબ : शिष्ट भाषामें आवेदन पत्र देनेका
જવાબ : उपवास पर बैठने का
જવાબ : निमेष
જવાબ : रमेश ने
જવાબ : हमारे हाथ ही पर्याप्त है
જવાબ : पथराव करनेका
જવાબ : अविनाश को बचाने बाकी लोगों के आगे इधर-उधर चलती है
જવાબ : अविनाश
જવાબ : वहाँ से चले जाने को
જવાબ : रमेश
જવાબ : नरेश
જવાબ : मकान की नींव तैयार करने में उसने स्वेच्छा से हाथ बढ़ाया था
જવાબ : अविनाश को बचाकर पत्थर फेंकते है
જવાબ : अविनाश
જવાબ : गोपी
જવાબ : कार्यालय के दरवाजे के पास जाकर खड़ा हो जाता है
જવાબ : रमेश को
જવાબ : किसी की रचना को तोडेंगे नहीं, प्रतीक्षा करेंगे, सहेंगे
જવાબ : गोपी
જવાબ : वह संतुलन गवां देता है और पत्थर अविनाश को लग जाता है
જવાબ : विद्रोह और प्रतीक्षा के बीच किसी नए प्रसाद की रचना जन्म ले
જવાબ : प्रार्थनाषत्र देने के बाद भी सदस्यों ने जवाब नहीं दिया था।
જવાબ : उसके लिए जवाब देना आसान होता है।
જવાબ : अपनी संतान से।
જવાબ : प्रसादजी
જવાબ : लम्बे भाषण
જવાબ : अविनाश
જવાબ : सहकारी मंडली
જવાબ : कठिन
જવાબ : श्रोताओं
જવાબ : पंचायत घर
જવાબ : घोटालों
જવાબ : पंचायत के मकान
જવાબ : अनशन
જવાબ : ‘कविता क्या है’ इस प्रश्न का उत्तर देते हुए गोपी कहती है – ‘कविता आत्मा की कला है, वह संवेदना का सौंदर्य है।'
જવાબ : ग्राम पंचायत के सदस्य रमेश ओर नरेश के सवालों का जवाब नहीं देते थे, इसलिए ये दोनों ग्राम पंचायत के सदस्यों का विरोध करते थे।
જવાબ : समझदार नवयुवक अविनाश के मतानुसार वे लोग गाँव के पढ़े-लिखे युवक होने के नाते उनकी जिम्मेदारियाँ अधिक है। इसलिए अविनाश नरेश से किसी का तिरस्कार न करने के लिए कहता है।
જવાબ : समझदार और सुलझा हुआ युवक अविनाश पंचायत के सदस्यों के खिलाफ नियमानुसार और शालीन ढंग से कार्यवाई करके परिणाम प्राप्त करने की आशा रखता है। इसलिए रमेश अविनाश को आशावादी कहता है।
જવાબ : रमेश, निमेष और नरेश ग्राम पंचायत के कार्यलिय पर पत्थरबाजी करने में अपने हाथों का सदुपयोग करेंगे।
જવાબ : अविनाश साथियों को पंचायत घर पर पत्थरबाजी करने से रोकता है, क्योंकि पंचायत घर की रचना में उसका सहयोग होने से उससे वह अपनत्व महसूस करता है।
જવાબ : अविनाश को पंचायत के मकान से लगाव था, क्योंकि उसकी नींव रखते समय उसने स्वेच्छा से उसमें हाथ बँटाया था।
જવાબ : अविनाश ने आवेदनपत्र में पंचायत द्वारा किए गए घोटालों तथा अन्य भ्रष्टाचारों के बारे में लिखा था।
જવાબ : रमेश, निमेष, नरेश और अविनाश अनशन पर बेठे थे, क्योंकि कई बार प्रार्थनापत्र देने और प्रतीक्षा करने के बाद भी पंचायत के सदस्यों ने उनके सवालों के जवाब नहीं दिए थे।
જવાબ : निमेष के अनुसार नरेश को अपशब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि उनके नेता अविनाश ने इस पर प्रतिबंध लगाया है।
જવાબ : गाँव में राशन वितरण करने का काम सहकारी मंडली करती है।
જવાબ : खाद के वितरण में अनियमितता, गरीबों के लिए आए राशन की काला बजारी, पंचायत का घाटे में चलना आदि घोटालों का जवाब गांव के युवक पंचायत के पदाधिकारियों से माँगते थे, पर पदाधिकारी जवाब देने से बचते थे। इसलिए गाँव के युवक पंचायत के पदाधिकारीयों से नाराज थे।
જવાબ : गाँव के युवकों में पंचायत में हुए घोटालों से असंतोष था। युवकों ने अपना असंतोष व्यक्त करने के लिए पंचायत के कार्यालय के समक्ष अनशन (उपवास) करने और पदाधिकारियों को आवेदनपत्र सौंपने जैसे साधनों का उपयोग किया।
જવાબ : गाँव के युवक रमेश, नरेश, निमेष, अविनाश पंचायत के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे घोटालों से नाराज थे और अनशन पर बैठे थे। जब पदाधिकारियों ने उनकी बात का जवाब न दिया, तो उन्होंने पंचायत कार्यालय पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके द्वारा वे अपने हाथों से पत्थरबाजी का कमाल दिखाना चाहते थे।
જવાબ : पंचायत के घोटालों को लेकर युवकों ने आवेदनपत्र देकर पदाधिकारियों से जवाब माँगा, तो वे पीछले दरवाजे से भाग खड़े हुए। इस पर रमेश को गुस्सा आया और उसने पंचायत के कार्यालय पर पथराव करने का निश्चय किया। जिससे पथराव की बात सुनकर पदाधिकारी दौड़ आए।
જવાબ : अविनाश नियमानुसार काम करने में विश्वास करता है। वह एक समझदार युवक है। वह तोड़-फोड़ करनें में विश्वास नहीं रखता। अविनाश को पंचायत भवन से लगाव है। इसकी नींव तैयार होने के समय से वह उससे जुड़ा रहा है। उसने मकान की रचना में हाथ बँटाया था। इसलिए अविनाश मकान पर पथराव का विरोध करता है।
જવાબ : लोगों में आजकल विरोध करने के नाम पर तोड़-फोड़ करने और सम्पत्ति का नुकसान करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जो गलत है। हम तोड-फोड़ से अपना और राष्ट्र का ही नुकसान करते हैं। हमें इस प्रवृत्ति पर रोक लगाने की आवश्यकता है। हमें कोई भी आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चलाना चाहिए और उसके परिणाम की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हमें ‘रचना’ एकांकी से यही संदेश मिलता है।
જવાબ : अविनाश एक सुलझा हुआ और सुशिक्षित नवयुवक है। गाँव के युवक पंचायत के सदस्यों द्वारा होनेवाले घोटालों के विरुद्ध अनशन पर बैठे थे। उन्होंने आवेदनपत्र देकर पदाधिकारियों से जवाब माँगा तो पदधिकारी भाग गए। इस पर युवकों ने पंचायत कार्यालय पर पथराव करना आरंभ किया। लेकिन अविनाश इस तोड़-फोड़ में विश्वास नहीं करता था। अविनाश पंचायत के निर्माणकार्य से जुड़ा होने के नाते उससे लगाव रखता था। पंचायत का मकान बचाने के लिए वह खुद जख्मी हो जाता है। पत्थरबाजों से कहता है यदि आपने निर्माण में हाथ बँटाया होंता तो इस मकान को न तोड़ते। अविनाश की बातों से अनशनकारी प्रभावित हो जाते है और अफसोस करते हैं।
इससे कहा जा सकता है कि अविनाश एक सुलझा हुआ, सुशिक्षित नवयुवक है।જવાબ : भाषण देना एक कला है। जो जितना अच्छा भाषण दे सकता है, वह श्रोताओं को उतना ही अधिक लुभा सकता है। भाषण में अपने विषय को श्रोताओं के समक्ष विस्तार से बताना होता है और उसे रोचक ढंग से पेश करना होता है। जो लोग इस कला में माहिर होते हैं, उनके भाषण लोकप्रिय होते हैं। ऐसे लोगों के लिए किसी प्रश्न का जवाब देना बाएँ हाथ का खेल होता है।
જવાબ : कविता मात्र शब्दों का समूह न होकर कवि के हृदय से शब्दों के रूप में निकली हुई सुंदर भावना होती है। कविता के माध्यम से कवि अपने मन में होनेवाले बोध को सुंदर ढंग से कागज पर उतारता है। कविता में उसकी भावना की छाप दिखाई देती है। कविता संवेदना का सौंदर्य है।
જવાબ : कहावत है - 'विनाश आसान है, निर्माण कठिन है।' निर्माण का अर्थ है किसी वस्तु को जन्म देना। मनुष्य को अपनी निर्मित वस्तु से उतना ही प्यार और लगाव होता है, जितना अपनी संतान से। जितनी तकलीफ उसे अपने बच्चे पर पड़नेवाले कष्ट से होती है, उतनी ही तकलीफ उसे अपने हाथों से निर्मित वस्तु के विनाश से होती है। मकान से तो मनुष्य का इतना अधिक लगाव होता है कि जर्जर अवस्था में भी वह उसे नहीं छोड़ना चाहता।
उपर्युक्त पंक्तियों में अविनाश का उस मकान से तब से संबंध रहा है, जब उसकी नींव पड़ रही थी। नींव पड़ने से लेकर पूरा मकान बनने तक वह उससे जुड़ा रहा है। इस तरह मकान-निर्माण में अविनाश का पूर्ण सहयोग रहा था, अतः उसके मुँह से उपर्युक्त विधान सहज रूप से निकलता है।
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