જવાબ : झाड़ी में
જવાબ : शिकारी कुत्ता पीछे पड़ा था।
જવાબ : खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था।
જવાબ : खुले खेतमें
જવાબ : घनी कंटीली ज़ाडी
જવાબ : वनकी ज़ाडी सूंघ-सूंघकर छानने लगा
જવાબ : जुरमुट
જવાબ : जुरमुट में छिप जाता था
જવાબ : खरहा जान बचाकर भागा
જવાબ : छलांग लगाकर बीहड़ वन में छिप गया
જવાબ : खरहा
જવાબ : घास की फुनगियाँ
જવાબ : शिकारी कुत्ता
જવાબ : अपनी सारी शक्ति लगाकर अपने प्राण बचाओ
જવાબ : लौमड़ी
જવાબ : जब अपने प्राणों पर आती है तब हममें विशेष शक्ति आ जाती है
જવાબ : अपनी रोटी जान बचाकर कमाओ
જવાબ : तुम खरहे से हार गये
જવાબ : इतनी मोटी देह होकर एक छोटे जीव को भी न पकड़ पाये
જવાબ : अपनी जान बचाने
જવાબ : केवल एक दिन का भोजन पाने
જવાબ : घने झुरमुट
જવાબ : चार
જવાબ : साँस
જવાબ : खेतमें
જવાબ : मामा
જવાબ : शास्त्र
જવાબ : सारी शक्ति
જવાબ : खरहा एक वन में एक स्थान पर पास-पास घनी झाड़ियाँ थीं, खरहा उनमें छिपकर रहता था।
જવાબ : खरहा कुत्ते की साँस का स्वर सुनकर नींद से जाग गया।
જવાબ : कुत्ते और खरहे के बीच दौड़ वन में चार मिनट तक चली।
જવાબ : लोमड़ी खेत में कुत्ते को खरहे का पीछा करते हुए तथा खरहे का बीहड़ बन में छिप जाना और कुत्ते का इधर-उधर सूँघकर वापस जाना देख रही थी।
જવાબ : रोटी कमाने के विषय में शास्त्रों में बताया गया है कि अपनी जान बचाकर रोटी कमाना चाहिए, रोटी के लिए जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए।
જવાબ : शास्त्रों में कहा गया है कि जान महत्वपूर्ण है। अपनी जीविका के लिए वही उद्यम करो, जिसमें जान पर कोई आँच न आए। पर जब जान पर संकट आ जाए, तो प्राण रक्षा के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दो। ऐसे अवसर पर शरीर में विशेष शक्ति आ जाती है।
જવાબ : खरहा वन के भीतर एक घनी झुरमुट में रहता था। वह इस बात की सावधानी रखता था कि उस पर किसी की नजर न पड़े।
જવાબ : एक दिन वन में एक शिकारी कुत्ता आ गया। वह वन की झाड़ियों में सूँघ-सूँघकर अपना शिकार खोजता था। शिकार की खोज में सूँघता-सूंघता वह उस झाड़ी के पास पहुँचा, जिसमें खरहा रहता था। कुत्ते की साँस का स्वर सुनकर जब उसकी आँख खुली तो वह अपनी जान लेकर भागा।
જવાબ : जब चार मिनट तक कुत्ता खरहे का पीछा करता रहा। अंत में सामने एक घनी कँटीली झाड़ी देखकर खरहा छलाँग लगाकर उसमें घुस गया। कुत्ते के लिए कँटीली झाड़ी में घुसना संभव नहीं था। इसलिए वह निराश हो गया।
જવાબ : कुत्ता चार मिनट तक खुले खेत में खरहे का पीछा करता रहा, पर वह उसे पकड़ नहीं पाया। तभी सामने कँटीली झाड़ी देखकर खरहा उसमें घुस गया। इस घटना को देखनेवाली लोमड़ी ने कुत्ते से कहा, “इतने मोटे-ताजे हो, फिर भी थक जाते हो और वन के जीव-जंतुओं को भी नहीं पकड़ पाते।''
જવાબ : लोमड़ी ने कुत्ते से कहा कि वह इतना मोटा-ताजा है, फिर भी थक जाता है और छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को भी नहीं पकड़ पाता। यह सुनकर कुत्ते ने कहा, “यह बात नहीं है। वास्तव में मैं अपने भोजन के लिए दौड़ रहा था, पर खरहा अपनी जान बचाने के लिए अपनी सारी शक्ति लगाकर भाग रहा था। इसलिए मैं उसे नहीं पकड़ पाया।”
જવાબ : शास्त्रों ने कहा है कि अपनी जान बचाकर ही रोटी कमाना चाहिए। रोटी के लिए जान को खतरे में नहीं डालना चाहिए। इस कथाकाव्य में भी कुत्ता और खरगोश के जरिए यही सीख दी गई है।
જવાબ : कुत्ते ने लोमड़ी को भेद की बात बताई कि वह अपने भोजन के लिए खरहे के पीछे दोड़ रहा था, लेकिन खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। इसलिए वह अपनी जान पर खेलकर कँटीली झाड़ी में कूद गया और उसने अपनी जान बचा ली। पर मैं जान पर खेलकर कैटीली झाड़ी में नहीं घुस सकता था।
જવાબ : ‘कुत्ते की सीख’ काव्य में एक शिकारी कुत्ता एक खरहे का पीछा करता है और खरहा अपनी जान बचाने के लिए भागता हुआ एक कँटीली झाडी में छिप जाता है और इस तरह उसकी जान बच जाती है।
हमे इस काव्य से यह बोध मिलता है कि चाहे छोटा जीव हो या क्रमजोर हो या शक्तिशाली, जब उसके प्राणों पर बन आती है, तो उसमें अद्भुत शक्ति आ जाती है। व्यक्ति को संकट के समय अपनी सारी शक्ति लगाकर अपनी जान बचानी चाहिए।જવાબ : एक जंगल में एक घनी झुरमुट में एक खरगोश छिपकर रहता था। वह चुनकर नर्म-नर्म घास खाता था और अगर किसी को देखता, तो वह झाड़ी में छिप जाता था। एक बार जंगल में एक शिकारी कुत्ता वह शिकार की खोज में झाड़ी-झाड़ी सूँघने लगा। वह सूँघते-सूँघते उस झुरमुट के पास पहुँचा, जिसमें खरगोश रहता था। आहट पाते ही खरगोश भाग खड़ा हुआ। कुत्ता लगातार चार मिनट तक खुले खेत में उसका पीछा करता रहा, पर वह उसे पकड़ नहीं सका। तब तक सामने एक कँटीली झाड़ी आई और खरगोश छलाँग लगाकर उसमें छिप गया।
कुत्ता इधर-उधर सूँघकर निराश होकर वापस जाने लगा। एक लोमड़ी खड़ी-खड़ी यह सारी घटना देख रही थी। उसने कुत्ते से कहा, “मामा, तुम हार गए। तुम इतने मोटे-ताजे हो, पर वन के छोटे-छोटे जीव-जंतुओं को भी नहीं पकड़ पाते।” कुत्ते ने लोमड़ी से कहा, “ अरे पगली, तुम इस रहस्य को नहीं समझ सकती। मेरे और खरहे के दौड़ने में अंतर है। मैं उसके पीछे अपने भोजन के लिए दौड़ रहा था, जबकि खरहा अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था। कहा गया है कि कोई भी उद्यम करो तो जान बचाकर करो, पर संकट आने पर अपनी पूरी ताकत लगाकर अपनी जान बचाने की कोशिश करो।”
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