જવાબ : अणु
જવાબ : वैज्ञानिक
જવાબ : मानव प्रक्षेपण-यंत्र बनाना
જવાબ : जब वह प्रोफेसर को पहली बार मिला था
જવાબ : प्रोफेसर का शरीर अपने मूल तत्वो में विभक्त होने लगा
જવાબ : वैज्ञानिक संशोधन
જવાબ : पांचसो मीटर
જવાબ : माधवन की आंखों में ज़ांककर
જવાબ : प्रोफेसर की प्रयोगशाला में
જવાબ : प्रोफेसर के दोस्त आनंद महेता की
જવાબ : मानव प्रक्षेपण यंत्र
જવાબ : गर्व से स्क्रीन की और देखा
જવાબ : माधवन के घर में
જવાબ : स्विच को पावर बॉक्स से निकाला और सीधे बिजली के स्विच से जोड़ दिया
જવાબ : विशेष प्रकार के अणुओं से मिलकर
જવાબ : रामिश का तरंगस्वरूप अपनी गति खो बेठा
જવાબ : कमरे की पावर सप्लाई ऑफ हो गई
જવાબ : कमरा रोशनी से भर गया
જવાબ : प्रोफेसर का शरीर तरंगों में परिवर्तित होकर रिसीवर की ओर जा रहा था
જવાબ : पावर सप्लाई बॉक्स से धुआ उठ रहा था
જવાબ : आकार
જવાબ : प्रयोगशाला के पीछे बहनेवाले नाले की ओर
જવાબ : तरंगों में परिवर्तित प्रोफेसरके शरीर की स्थिति कंप्यूटर पर दिखाई दे रही थी
જવાબ : नाले के सड़ांघ मारते पानी के किनारे बजबजाती हुई मानवीयताने
જવાબ : देश के नागरिकों को कुपोषण से बचाना और जीवनकी न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध्ध करवाना
જવાબ : रिसीवर चेम्बर में हलचल हुई और प्रोफेसर बाहर आ गए
જવાબ : रामिश को होश में आते देखकर
જવાબ : प्रोफेसर बेहोश हो गये
જવાબ : यह काम ‘मानव प्रक्षेपण-यंत्र' प्रॉजेक्ट के प्रयोग से कहीं अधिक जरूरी है।
જવાબ : प्रोफेसर रामिश ओर प्रोफेसर माधवन
જવાબ : इसे हम उत्पन्न नहीं कर सकते।
જવાબ : देश के लाखों लोगों को कुपोषण से बचाना है।
જવાબ : स्वरूप
જવાબ : आनंद
જવાબ : यांत्रिक
જવાબ : अत्यंत जटिल
જવાબ : अणु
જવાબ : वैज्ञानिक
જવાબ : मानव प्रक्षेपण-यंत्र
જવાબ : आभा
જવાબ : 'एक नई शुरुआत' के दोनों वैज्ञानिकों के नाम हैं – प्रोफेसर रामिश और प्रोफेसर माधवन।
જવાબ : जिस यंत्र के द्वारा किसी व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान को भेजा जाए, उसे मानव प्रक्षेपण-यंत्र कहते हैं।
જવાબ : यकायक चालू मानव प्रक्षेपण-यंत्र से जुड़े पावर सप्लाई बॉक्स से धुआँ उठता हुआ देखकर प्रोफेसर माधवन को पसीना आ गया।
જવાબ : प्रोफेसर रामिश मानवदेह को विधुत-तरंगों में रूपांतरित करके उसे नई तकनीक से स्थानांतरित करने की नई शुरुआत करनेवाले थे।
જવાબ : प्रो.रामिश ने माधवन को अपने साथ काम करने की अनुभति प्रदान की, क्योंकि वह उनके जिगरी दोस्त आनंद की सिफारिश लेकर आया था।
જવાબ : माधवन की तंद्रा अचानक भंग हो गई, क्योंकि पावर सप्लाई बंद हो जाने से मानव प्रक्षेपण-यंत्र से जुड़े पावर सप्लाई बॉक्स से धुआं उठने लगा था।
જવાબ : डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन लगाए जाने और कुछ अन्य सावधानियाँ बरतने के बाद प्रोफेसर रामिश के अचेत शरीर में चेतना आई।
જવાબ : परमाणु विघटन में उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन को अलग करना है।
જવાબ : प्रोफेसर माधवन आनंद मेहता का सिफारिश-पत्र लेकर पहली बार प्रो.रामिश की लैब में मिलने आए थे।
જવાબ : ऊर्जा का अर्थ है कार्य करने की क्षमता।
જવાબ : किसी वस्तु के छोटे-से छोटे अंश को अणु कहते हैं।
જવાબ : अणु परमाणु से बनते हैं।
જવાબ : आणविंक ऊर्जा यूरेनियम, थोरियम आदि तत्वों को तोड़कर प्राप्त की जा सकती है।
જવાબ : विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार किसी वस्तु को उस मूलतत्वों में विभकत किया जा सकता है और उसे तरंगों के द्वारा किसी अन्य स्थान पर भेजा और उन तत्वों को जोड़कर वापस पाया जा सकता है। प्रोफेसर रामिश के प्रयोग का उद्देश्य इसी सिद्धांत के अनुसार मानवशरीर को तरंगों के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना है।
જવાબ : परमाणु का विघटन उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन को उससे अलग करके किया जा सकता है। परमाणु का संगठन उसमें स्थित इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन और न्यूट्रॉन के समावेश से होता है।
જવાબ : किसी वस्तु के छोटे-से-छोटे अंश या कण को अणु कहते हैं। परमाणु किसी पदार्थ का सबसे छोटा वह अंश होता है, जिसके और टुकडे न हो सकें। अणु की रचना परमाणुओं से होती है तथा परमाणु को आकार मिलता है, उसके अपने भीतर मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटोन ओर न्यूट्रॉन के कारण।
જવાબ : ऊर्जा का अर्थ है कार्य करने की क्षमता। ऊर्जा कई प्रकार की होती है। ऊर्जा की विशेषता यह है कि इसे हम उत्पन्न नहीं कर सकते। इसी प्रकार ऊर्जा कभी नष्ट भी नहीं की जा सकती। पर आवश्यकतानुसार ऊर्जा को दूसरा रूप दिया जा सकता है। यानी उसका स्वरूप परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे – विधुत-ऊर्जा को आणविक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है और आणविक ऊर्जा को विधुत-ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
જવાબ : विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार किसी भी वस्तु को उसके मूलतत्वों में तोड़ा और उन मूलतत्वों को आपस में जोड़कर उसके मूल स्वरूप में प्राप्त किया जा सकता है। लेखक की दृष्टि से मानवशरीर भी विभिन्न प्रकार के तत्वों से मिलकर बना हे। इसलिए मानवशरीर को उसके मूलतत्वों में विभक्त कर उसे विशेष प्रकार की तरंगों में परिवर्तित करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है और उसे मूल स्वरूप में प्राप्त भी किया जा सकता है।
જવાબ : गर्मियों के दिन थे। प्रोफेसर माधवन प्रोफेसर रामिश के जिगरी दोस्त आनंद मेहता का सिफारिशी-पत्र लेकर पहली बार प्रोफेसर रामिश की लैब में उनसे मिलने आए थे। तब प्रोफेसर रामिश अपने कम्प्यूटर पर झुके हुए थे। प्रोफेसर माधवन का परिचय जानने के बाद प्रोफेसर रामिश ने उन्हें सहर्ष अपने साथ काम करने की अनुमति दे दी थी। इस प्रकार प्रोफेसर रामिश के साथ उसी समय प्रोफेसर माधवन की पहली बार मुलाकात हुई थी।
જવાબ : 'मानव प्रक्षेपण प्रयोग’ प्रोफेसर रामिश का महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट था। यह प्रॉजेक्ट विज्ञान के इस सिद्धांत पर आधारित था कि किसी वस्तु को उसके मूलतत्वों में तोड़ा जा सकता है और उन्हें विशेष प्रकार की तरंगों में परिवर्तित कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है। इसी सिद्धांत के आधार पर प्रोफेसर रामिश ने मानवशरीर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजेंने का प्रक्षेपण प्रयोग किया था।
જવાબ : प्रोफेसर रामिश ‘मानव प्रक्षेपण-यंत्र' की प्रयोग प्रक्रिया के दौरान जिन स्थितियों से गुजरे थे, उन स्थितियों ने उन्हें बेचैन कर दिया था। उनका तरंग में परिवर्तित शरीर गंदे नाले और उसके पास की दुनिया में पहुँच गया था, जहाँ नाले के किनारे बजबजाती मानवीयता ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। चैम्बर से निकलने पर उन्होंने निश्चय कर लिया कि अभी तो उन्हें देश के लाखों नागरिकों को कुपोषण से बचाने और उनको जीवन की न्यूनतम सुविधाएँ उपलब्ध करवाने का काम करना बाकी है। यह काम ‘मानव प्रक्षेपण-यंत्र’ प्रॉजेक्ट के प्रयोग से कहीं अधिक जरूरी है। इसलिए प्रोफेसर रामिश ने अपने ड्रीम प्रॉजेक्ट का प्रयोग छोड़ देने का निर्णय किया।
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