જવાબ : फैरा न था
જવાબ : छोटा
જવાબ : भारी
જવાબ : राम भजन
જવાબ : दोनों के बोल मीठे है
જવાબ : दोनों एक ही रंग के है?
જવાબ : तला नहीं था
જવાબ : एक फिरता है और एक टाढा है
જવાબ : अनार
જવાબ : लोटा
જવાબ : राम-भजन
જવાબ : तपन
જવાબ : गुणवंत
જવાબ : अमीर खुशरो
જવાબ : दाना
જવાબ : जवान
જવાબ : शादी के समय
જવાબ : 'तला' शब्द का एक अर्थ है किसी चीज को गर्म तेल में तलना और इसका दूसरा अर्थ है जूते के नीचे का हिस्सा यानी तलना।
જવાબ : वजीर में 'दाने नहीं थे' का अर्थ है, 'वजीर दानेदार (यानी बुद्धिमान) नहीं था।'
જવાબ : तला न होने से खाया नहीं जा सकता और जूता पहना नहीं जा सकता।
જવાબ : फेरे न जाने से रोटी जल गई, घोड़ा अड़ गया और पान सड़ गया।
જવાબ : पहेली सामान्य रूप से केवल बूझने के लिए होती है, जबकि मुकरी में एक सखी दूसरी सखी से कुछ बूझने के लिए कहती है और अंतिम पंक्ति में उत्तर भी दिया जाता है।
જવાબ : राम भजन बिना तोता नहीं सोता है।
જવાબ : ढोल और साजन में समानता यह है की दोनो के बिना शादी नहीं हो सकती, और दोनो की वाणी भी मीठी लगती हैं।
જવાબ : जब प्यास लगती है तो लोटा माँगने पर जल भरकर ला देता है। वह लोगों की प्यास बुझाता है। लोटा देखने में तो छोटा लगता है पर उसमें पानी काफी आता है।
જવાબ : एक महिला के दो बालकों की तरह दोनों पाटों एक-सा होता है। अंतर इतना ही होता है कि उनमें से एक पाट रहता है और दूसरा पाट अपने स्थान पर स्थिर रहता है। इसके दोनों हमेशा साथ-साथ रहते हैं।
જવાબ : रोटी, घोड़े और पान को फेरना बेहद जरूरी है। रोटी न फेरने पर जल जाती है, घोड़ा न फेरने पर अड़ जाता है और पान फेरा जाए तो वह सड़ जाता है।
જવાબ : कवि के अनुसार रोटी, पान और घोड़े को फेरना बहुत जरूरी है। अगर रोटी को तवे पर न फेरें तो वह जल जाती है। इसी तरह पान के किसी पत्ते में दाग होते हैं, तो उसके ऊपर के और नीचे के सभी पत्ते सड़ते जाते है। इसलिए पान के पत्तों को ऊपर-नीचे करते रहना चाहिए और उसके सड़े हिस्सों को काटकर निकाल देना चाहिए। घोड़े को सवारी अथवा गाड़ी में जोतने के लिए उसे सिखाना पड़ता है। इसे घोड़े को फेरना कहते है। अगर घोड़े को न फेरा जाए, तो उससे काम नहीं लिया जा सकता। वह अड़ जाता है।
જવાબ : कविने कहा है की शादी के समय ढोल और साजन दोनों की जरूरत होती है। ढोल से मधुर स्वर निकलते हैं और साजन से सजनी का विवाह होता है। ढोल की जगह कोई दूसरा वादय उपयोग में नहीं आता। शादी भी और किसी से नहीं, साजन से ही होती है। ढोल के स्वर भी मीठे होते है और साजन की वाणी भी मीठी लगती है।
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