જવાબ : वन
જવાબ : सूखे तरु पर
જવાબ : इन्द्र को
જવાબ : तोते ने
જવાબ : शिकारी ने
જવાબ : मोदमयी
જવાબ : तोता
જવાબ : तोते ने
જવાબ : तोता रो रहा था
જવાબ : अति भरी, सूखा पेड़
જવાબ : वही सूखे पेड़ को जीस पर वह रहता था
જવાબ : इन्द्र
જવાબ : वह तोता उसी पेड़ पर जन्मा था
જવાબ : विष के कारण
જવાબ : काशी
જવાબ : तोता
જવાબ : एक शिकारी
જવાબ : शिकारी के विष से बूज़े बाण ने
જવાબ : वह पेड़ के दुख में हाथ बटाना चाहता था
જવાબ : सूखे पेड़ को हरा भरा कर देने का
જવાબ : देवपति
જવાબ : मूर्खता
જવાબ : मोदमयी
જવાબ : साथी
જવાબ : तोते
જવાબ : शिकारी
જવાબ : विषबुजा
જવાબ : सूखे पेड़
જવાબ : अनजान ओर अनाड़ी
જવાબ : पेड़ पर विषबुझा बाण एक शिकारी ने चलाया था।
જવાબ : तोता प्रेड़ पर रहता था।
જવાબ : तोते ने सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा करने का वर माँगा।
જવાબ : इन्द्र काशी के समीप एक निर्जन वन से होकर गुजर रहे थे।
જવાબ : इन्द्र ने खोखले वृक्ष में एक सुंदर तोते को देखा।
જવાબ : एक शिकारी द्वारा विषबुझा बाण चलाने से पेड़ सूख गया।
જવાબ : शिकारी के विषबुझे बाण ने पेड़ पर आफत ढ़ा दी थी।
જવાબ : तोते के जन्म के समय पेड़ हरा-भरा, अपनी किस्म का अलग, सबसे अच्छा, सबसे सुंदर और मन को मोह लेनेवाला था।
જવાબ : हरे-भरे छायादार वृक्षवाले विशाल ओर सुंदर वन में एक पक्षी हरे-भरे वृक्ष पर बसना चाहेगा। फिर भी तोता उन हरे-भरे पेड़ों पर न रहकर एक सूखे पेड़ के खोखले में रहता था। यह देखकर इन्द्र को आश्चर्य हुआ।
જવાબ : तोते के अनुसार जन्म से लेकर अब तक इस हरे-भरे पेड़ ने सुख-दु:ख में उसका साथ दिया। आज उसके बुरे दिनों में उसे छोड़कर तोता कहीं नहीं जाना चाहता। मेरे मतानुसार तोते की बात सही है। साथी की पहचान बुरे दिनों में होती है। तोतेने सच्चे साथी का फर्ज निभाया।
જવાબ : तोते ने इन्द्रदेव से कहा कि इस सूखे पेड़ से उसका बचपन का रिश्ता रहा हे ओर उसका अंत भी उसी के साथ होगा। यह सुनकर इन्द्रदेव द्रवित हो गए। उन्होंने उस पेड़ को नवजीवन प्रदान कर दिया और वह पहले की तरह हरा-भरा हो गया।
જવાબ : तोते का उस पेड़ से बहुत लगाव था। पहले वह पेड़ बहुत हरा-भरा और सुंदर था। तोते का जन्म उसी पेड़ पर हुआ था। उसकी डाली-डाली उसे प्राणों से भी प्यारी थी। उसने उस पेड़ की आनंददायक छाया में होश सँभाला था। उसे बोलने, फुदकने और उड़ने की शिक्षा इसी पेड़ पर मिली थी। बचपन से लेकर अब तक उसने तोते को शीतल छाया दी थी। तोते ने पेड़ को अपने सुख-दुःख का सच्चा साथी पाया था। उसे इसी पेड़ पर सुख, संतोष और शांति प्राप्त होती है। तोते उस पेड़ से अपने अत्यधिक लगाव के उपर्युक्त कारण बतलाए है।
જવાબ : अरे भाई तोते! इस वन में एक-से-एक हरे-भरे पेड़ भरे पड़े हैं। आश्चर्य है, तुम इस सूखे पेड़ के इस खोखले से अपरिचित जैसे और अनाड़ियों की भाँति पड़े हुए हो। यह मूर्खता नही तो और क्या है?
तोता : महाराज! यह पेड़ आज सूख गया है, पर पहले यह बहुत हरा-भरा और सुंदर था। पूरे वन में यह अपने ढंग का अकेला ही सबसे अच्छा पेड़ था। यह इस वन की शोभा था। विभिन्न प्रकार की चिडियाँ, कोयल, तोते, मैना आदि सबको यह पेड़ बहुत प्यारा था। मेरा जन्म इसी हरे-भरे पेड़ पर हुआ था। इसलिए मुझे इसकी डाली-डाली बहुत प्यारी हे। इसी की छाया में मैंने अपना जीवन आरंभ किया था। इसी पर मैंने बोलना, चहकना और उड़ना सीखा था। इसने मुझे बचपन से लेकर अब तक शीतल छाया दी है। यह मेरे सुख-दुःख का सच्चा साथी रहा हे। लेकिन आज यह पेड़ सूख रहा है। इसका एक कारण है। एक बार वन में एक शिकारी आया था। उसने अपने विष से बुझा बाण इस पेड़ पर चला दिया था। तब से यह पेड़ विष के प्रभाव से दिन-प्रतिदिन सूखता जा रहा है। यह पेड़ मेरा बचपन का साथी है। इसी पेड़ पर रहकर मुझे सुख, संतोष ओर शांति मिलती है। इसे छोड़कर मैं कहाँ जा सकता हूँ? लगता है इसके साथ-साथ मेरा भी अंतिम क्षण होगा। इन्द्र: ओह! तो यह बात है! तोते, मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। अब तेरा जीवन सफल हो जाएगा। तुम मुझसे जो भी चाहो, माँग लो, मैं इसी क्षण उसे पूरा कर दुँगा। तोता : हे देवपति! यह पेड़ सारे वन की शोभा है। आप इस पेड़ को हरा-भरा कर दीजिए। इन्द्र : एवमस्तु !
The GSEB Books for class 10 are designed as per the syllabus followed Gujarat Secondary and Higher Secondary Education Board provides key detailed, and a through solutions to all the questions relating to the GSEB textbooks.
The purpose is to provide help to the students with their homework, preparing for the examinations and personal learning. These books are very helpful for the preparation of examination.
For more details about the GSEB books for Class 10, you can access the PDF which is as in the above given links for the same.